बीजापुर हमला: क्या है 'ऑपरेशन प्रहार', जिससे बौखला गई है नक्सलियों की गोरिल्ला आर्मी?

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों ने घात लगाकर जवानों पर हमला किया। 23 जवान शहीद हो गए। हमले का मास्टरमाइंड नक्सलियों की पिपुल्स लिब्रेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन 1 का कमांडर हिडमा को बताया जा रहा है। ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये नक्सली हमला क्यों हुआ? इसके पीछे एक बड़ी वजह ऑपरेशन प्रहार है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2021 12:32 PM IST / Updated: Apr 05 2021, 06:11 PM IST

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों ने घात लगाकर जवानों पर हमला किया। 23 जवान शहीद हो गए। हमले का मास्टरमाइंड नक्सलियों की पिपुल्स लिब्रेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन 1 का कमांडर हिडमा को बताया जा रहा है। ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये नक्सली हमला क्यों हुआ? इसके पीछे एक बड़ी वजह ऑपरेशन प्रहार है। 

ऑपरेशन प्रहार एक कोडनेम है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न राज्यों में पुलिस अपराधियों और अवैध शराब की बिक्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए करती है।  लेकिन छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में ऑपरेशन प्रहार का मतलब है नक्सल विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई। नक्सल शब्द पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से निकला, जहां 1960 के दशक में सरकार के खिलाफ जमकर विद्रोह हुआ। इसके बाद पूर्वी भारत के काफी बड़े हिस्सों में फैल गया।  

ऑपरेशन प्रहार की वजह से हुआ हमला?
नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार की रणनीति का हिस्सा है ऑपरेशन प्रहार। इसे 2017 में लॉन्च किया गया था। ऑपरेशन प्रहार के तहत सुरक्षा बलों के जवान सर्चिंग अभियान पर निकले और शनिवार को नक्सलियों ने घात लगाकर उनपर हमला कर दिया। 

ऑपरेशन प्रहार का इतिहास जान लें
सीपीआई माओवादियों ने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) नाम से एक संगठन बनाया। (PLGA) ने छत्तीसगढ़ और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों पर कई घातक हमले किए हैं।

नक्सली हमले का ट्रेक रिकॉर्ड क्या है?
दिसंबर 2020 में कहा गया कि (PLGA) ने केंद्रीय और राज्य बलों के लगभग 3,000 जवानों, 222 राजनेताओं, 1,100 से अधिक पुलिस मुखबिरों को मार डाला। इससे पहले 2020 में पीएलजीए ने यह भी दावा किया था कि उसने कोविड -19 महामारी के कारण सुरक्षा बलों पर हमले रोक दिए। लेकिन शिकायत भी की कि सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई जारी रखी।

सरकार ने 3 स्टेज में  कार्रवाई की?
पीएलजीए के गठन के बाद से काउंटर-नक्सल ऑपरेशन को तीन चरणों में बांटा गया। पहला चरण सलवा जुडूम आंदोलन का था।

पहला : सलवा जुडूम 2004 से 2009 तक चला। जब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गांवों की रक्षा के लिए सुरक्षा बलों द्वारा स्वयंसेवकों के एक दल को प्रशिक्षित किया गया था और उन युवाओं के लिए एक विकल्प दिया गया। विवादों के बाद साल 2009 में सलवा जुडूम अभियान को बंद कर दिया गया।  

दूसरा: फिर चलाया गया ऑपरेशन ग्रीन हंट। जंगलों के अंदर छिपे नक्सल विद्रोहियों को निशाना बनाया गया। ऑपरेशन से नक्सलियों को बड़ा झटका दिया गया।  सीपीआई-माओवादी को आंध्र प्रदेश से साफ कर देने की बात भी सामने आई। 

बाद में ऑपरेशन ग्रीन हंट की जगह समाधान (SAMADHAN) योजना नाम रख दिया गया। SAMADHAN में  S का मतलब स्मार्ट लीडरशिप, A फॉर एग्रेसिव स्ट्रेटेजी, M फॉर मोटिवेशन एंड ट्रेनिंग, A फॉर एक्शनेबल इंटेलिजेंस, D फॉर डैशबोर्ड आधारित रिजल्ट एरिया और की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स, H फॉर हरनेसिंग टेक्नोलॉजी, A फॉर एक्शन प्लान और N का मतलब नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग था। 

तीसरा: SAMADHAN को 2017 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉन्च किया गया था। इसके साथ ही ऑपरेशन प्रहार को भी शुरू किया गया। अब यह पहली बार था कि सुरक्षा बलों ने प्रभावित राज्यों विशेषकर छत्तीसगढ़ में जंगलों के अंदर नक्सल विद्रोहियों के प्रमुख इलाकों में एंट्री की। 

नक्सलियों में है ऑपरेशन प्रहार का डर 
नुकसान इतना हुआ कि भाकपा-माओवादी ने मांग की कि सरकार को ऑपरेशन प्रहार रोकना चाहिए और सुरक्षा बलों को वापस बुला लेना चाहिए, क्योंकि नक्सल विद्रोहियों ने अपने हमले रोक दिए थे। ऑपरेशन ने काफी हद तक नक्सल विद्रोह को पंगु बना दिया। लेकिन कोविड -19 के दौरान 2020 में  सीपीआई-माओवादी ने युवाओं की भर्ती करके खुद को फिर से संगठित किया।

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