22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबायलियों ने किया हमला, तब कश्मीर बचाने को हरि सिंह ने इनसे लगाई थी गुहार

पाकिस्तान फौज ने कबायलियों के साथ मिलकर 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर हमला कर दिया था। जो कलमा नहीं पढ़ पाते, उनका सिर कलम कर दिया जाता। तब तक पाकिस्तान सोच रहा था कि हरि सिंह कश्मीर का विलय पाकिस्तान में कर देंगे। 

नई दिल्ली। अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 को संयुक्त भारत को दो टुकड़ों में बांट दिया। एक नाम पाकिस्तान और दूसरा भारत दिया गया। पाकिस्तान इसके बाद से नापाक बन गया। दो महीने बाद ही उसने रंग दिखाना शुरू कर दिया। कश्मीर पर अपना कब्जा बताते हुए उसे हड़पने की कोशिश में जुट गया। अंदरूनी तौर पर हमले की साजिश तैयार की गई, जिसे पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां से मंजूरी मिली हुई थी। 

बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना ने 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर हमला किया। दो दिन बाद मुजफ्फराबाद और डोमेल पर हमला किया। तब यहां डोगरा फौज तैनात थी और कश्मीर पर नियंत्रण राजा हरि सिंह का था। पाकिस्तानी फौज की तुलना में डोगरा फौज के सिपाहियों की संख्या काफी कम थी। मुकाबला किया, मगर हार गए। जान बचाकर भागे, तो पाकिस्तानी सैनिक उन्हें खदेड़ते हुए श्रीनगर की ओर बढ़ने लगे। पाकिस्तानी सेना में कबायली भी शामिल थे और इनकी संख्या काफी अधिक थी। ये क्रूर तरीके से लोगों की हत्या करते थे। 

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जो कलमा नहीं पढ़ पाते, उनका सिर कलम कर दिया जाता 
उरी में एक बार फिर पाकिस्तानी सैनिकों का सामना डोगरा फौज से हुआ। पाकिस्तानी सेना यहां भी भारी पड़ी। 26 अक्टूबर तक बारामूला भी पाकिस्तान के कब्जे में हो गया। हिंदुओं को खोज-खोजकर मारा गया। दावा किया जाता है कि तब अकेले बारामूला में 11 हजार हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया। दावा किया गया कि जो कलमा नहीं पढ़ सके, उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता। इनमें महिला, बच्चे और पुरूष शामिल थे। इसके बाद राजा हरि सिंह की नींद खुली। तब तक वे यह नहीं तय कर पाए थे कि उन्हें भारत का हिस्सा बनना है या पाकिस्तान का या फिर अकेले रहना है। 

पटेल बोले- पाकिस्तानियों को बाहर तक खदेड़कर आओ 
मगर पाकिस्तान का रवैया देखने के बाद भागते हुए भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास पहुंचे। जम्मू-कश्मीर को बचा लेने की गुहार लगाई और भारत में शामिल होने का ऐलान कर दिया। अब पाकिस्तानियों को पता चला कि उनका कदम कितना उल्टा पड़ गया, क्योंकि वे यह सोच रहे थे कि हरि सिंह पाकिस्तान में विलय करेंगे। इसके बाद तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय फौज को आदेश दिया कि पाकिस्तान को बाहर तक खदेड़कर आओ। भारतीय सेना की थल और हवाई कमान ने मोर्चा संभाला, तो पाकिस्तानी सेना दुम दबाकर भागी। 

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