आफताब का होगा नार्को टेस्ट, जानें कैसे इस टेस्ट से सच उगल देता है अपराधी

साकेत कोर्ट ने पुलिस को 5 दिन की कस्टडी के साथ-साथ आफताब का नार्को टेस्ट करने की इजाजत दे दी है।

Piyush Singh Rajput | Published : Nov 17, 2022 6:13 AM IST / Updated: Nov 17 2022, 05:12 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. दिल्ली में श्रद्धा वॉकर हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला की आज कोर्ट में पेशी हुई। पुलिस ने कोर्ट से इस मामले में आफताब की रिमांड के साथ उसका नार्को टेस्ट करने की भी इजाजत मांगी। साकेत कोर्ट ने पुलिस को 5 दिन की कस्टडी के साथ-साथ आफताब का नार्को टेस्ट करने की इजाजत दे दी है। इस आर्टिकल में जानें कि नार्को टेस्ट (What is Narco Test?) क्या होता है, इसकी इजाजत कब मिलती है और इससे अपराधी कैसे सच उगल देता है?

क्या है नार्को (Narco) टेस्ट?

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन (National Library of Medicine) के मुताबिक नार्को टेस्ट में व्यक्ति के शरीर में सोडियम पेंटोथल (sodium pentothal) के इंजेक्शन दिए जाते हैं। इस इंजेक्शन को ट्रूथ ड्रग (Truth Drug) यानी सच बोलने वाली दवा भी कहा जाता है। ये व्यक्ति की चेतना को काफी कम कर देता है, ऐसे में व्यक्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह आंख खोलकर सो रहा हो। हालांकि, वह हर बात का जवाब खुलकर देता है। इस दौरान व्यक्ति बिना दिमाग लगाए चीजों को साफ-साफ बोलता है क्योंकि उस दौरान चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की शक्ति दिमाग में नहीं रहती।

कैसे होता है नार्को टेस्ट?

जघन्य अपराधों के मामले में पुलिस के अनुरोध पर कोर्ट इस टेस्ट की इजाजत दे सकता है। हालांकि, टेस्ट से पहले डॉक्टर्स ये देखते हैं कि व्यक्ति मेडिकली फिट है या नहीं। इसके बाद उसके शरीर के मुताबिक हिप्नोटिक ड्रग सोडियम पेंटोथल (sodium pentothal) के इंजेक्शन तैयार किए जाते हैं। ड्रग्स की मात्रा तय करने में बहुत ज्यादा ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसमें जरा भी अधिक मात्रा व्यक्ति की जान ले सकती है या वह कोमा में जा सकता है। टेस्ट के दौरान डॉक्टर्स, पुलिस और विश्लेषक मौजूद होते हैं, जो हर जवाब, हरकत और आंकड़ों पर नजर रखते हैं।

कब मांगी जाती है नार्को टेस्ट की इजाजत?

आमतौर पर जघन्य अपराधों के मामले में और ऐसे मामलों में नार्को टेस्ट की इजाजत मांगी जाती है जब किसी बड़ी घटना से जुड़ा आरोपी या घटना से जुड़ा कोई अहम व्यक्ति तथ्यों को छिपाने की कोशिश करे, बयान से मुकरे या तोड़-मरोड़कर पेश करे। इसी वजह से ऐसे मामलों में सच का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। नार्को टेस्ट का सबसे अहम पहलू है ब्रेन मैपिंग, अगर टेस्ट के दौरान किसी सवाल पर व्यक्ति कहानी बनाने की कोशिश करता है, तो उसका भी पता चल जाता है। ऐसे में झूठ बोलने की गुंजाइश खत्म हो जाती है।

इन मामलों में हो चुका है नार्को टेस्ट

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