ऐसे ही एक वीर सपूत थे शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा (colonel ashutosh sharma)। कर्नल आशुतोष शर्मा, 2 मई 2020 को कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हो गए थे। आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे।
नई दिल्ली. देश आज अपना 73वां गणतंत्र दिवस (republic day) मना रहा है। गणतंत्र दिवस के मौके पर देश अपने उन वीर बलिदानी सपूतों को भी याद कर रहा है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही एक वीर सपूत थे शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा (colonel ashutosh sharma)। कर्नल आशुतोष शर्मा, 2 मई 2020 को कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हो गए थे। आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे।
कर्नल आशुतोष शर्मा को दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है और दोनों बार उनकी पत्नी पल्लवी उनके साथ थीं। वीरगति के बाद जब कर्नल को सेना मेडल दिया जाना था, तो इस बार पल्लवी के साथ उनका आशुतोष नहीं था। पल्लवी शर्मा ने बताया था कि मैं बेटी के साथ पति का सेना मेडल लेने गई थी। पल्लवी ने अपने मन का दर्द बयां करते हुए कहा, “जब दो बार मैं आशु के साथ सेना मेडल लेने गई, तो हर बार मैंने उनसे पूछा कि कौन सी साड़ी पहनकर जाऊं, इस बार किससे पूछती। जब कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने शादी की साड़ी पहन ली, ये साड़ी आशु को बहुत पसंद थी। आशुतोष अक्सर शायर कतील शिफाई की गजल गुनगुनाया करते थे। उन्होंने बताया कि उनकी पसंदीदा शायरी थी मौत भी मैं शायराना चाहता हूं।
राष्ट्रीय राइफल्स सेना में थी तैनाती
राष्ट्रीय राइफल्स, सेना का वह हिस्सा है, जो कश्मीर में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन्स की अगुआई करती है। 21 राष्ट्रीय राइफल्स का हेडक्वार्टर हंदवाड़ा में ही है, जो कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पड़ता है। कर्नल आशुतोष यूं तो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार इन दिनों जयपुर में रह रहा है। परिवार में पत्नी और एक बेटी है।
13वीं बार में हुआ था सिलेक्शन
शहीद कर्नल आशुतोष काफी हंसमुख इंसान थे। अपने जूनियर्स के बीच वह आशू सर के नाम से मशहूर थे। कर्नल हमेशा जोश से भरे रहते थे और अपने साथियों को भी हमेशा कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते थे। कर्नल आशुतोष को बचपन से ही आर्मी ज्वॉइन करने का सपना था। सेना के लिए यह उनका जुनून ही था कि उन्होंने 13 बार सेना में सेलेक्शन के लिए प्रयास किया। 13वें प्रयास में उन्हें सफलता मिली थी और तब जाकर आर्मी ऑफिसर बनने का उनका सपना पूरा हुआ था। साल 2018 और 2019 में लगातार उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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