बीते करीब आठ महीने से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर कइ्र चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की दूत प्रमिला पैटन ने मीडिया रिपोर्ट्स में कहा है कि रूसी सैनिक यूक्रेनी महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और बच्चों के अलावा सैनिकों के साथ रेप और हद दर्जे की प्रताड़ना कर रहे हैं।
वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र की दूत प्रमिला पैटन ने बताया है कि यूक्रेन से जंग के बीच रूसी सैनिक यूक्रेनी महिला सैनिकों को अपने कब्जे में ले रहे और उनके साथ ब्लात्कार और दूसरी अमानवीयता बरत रहे हैं। यह रूस की यौन हमले, बलात्कार और प्रताड़ना सैन्य रणनीति, जिसके तहत वे पीड़ितों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं, जैसी स्ट्रेटजी का हिस्सा है।
यौन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि सभी ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या यूक्रेन में बलात्कार को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिल्कुल ऐसा हो रहा है। जब महिलाओं को कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा जाता है और उनसे बलात्कार किया जाता है। जब आप छोटे लड़कों और पुरुषों के साथ कुकर्म करना शुरू करते हैं। जब आप जननांग विकृति की एक लगातार एक सीरीज और कई मामले देखते हैं। जब आप महिलाओं को वियाग्रा से लैस रूसी सैनिकों के बारे में गवाही देते सुनते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से एक सैन्य रणनीति है। .
यही नहीं, जब पीड़ित रिपोर्ट करते हैं कि बलात्कार के दौरान उनसे क्या करने को कहा गया था, तो यह स्पष्ट रूप से पीड़ितों को अमानवीय बनाने की एक जानबूझकर अपनाई जा रही रणनीति है। सितंबर के अंत में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए पैटन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में बलात्कार या यौन हमलों के सौ से अधिक मामलों को सत्यापित किया है, जब से फरवरी में रूस ने आक्रमण किया था, तब से ऐसा लगातार होता रहा है।
रिपोर्ट में रूसी बलों द्वारा किए गए मानवता के खिलाफ अपराधों की पुष्टि की गई है और एकत्रित साक्ष्यों के अनुसार यौन हिंसा के शिकार लोगों की आयु चार साल से 82 वर्ष के बीच है। इसमें यूक्रेनी सैनिकों के साथ-साथ नागरिक वर्ग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों में ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां हैं, लेकिन पुरुष और लड़के भी शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से मामले रिपोर्ट नहीं हुए हैं और अब तक जो सामने आया है वह सिर्फ पहाड़ की चोटी है, नीचे का हिस्सा तो दिख ही नहीं रहा। एक लगातार चल रहे युद्ध के दौरान विश्वसनीय आंकड़े होना बहुत मुश्किल है। संख्या कभी भी वास्तविकता को प्रतिबिंबित नहीं करेगी, क्योंकि यौन हिंसा एक मूक अपराध है। इसे काफी हद तक कम रिपोर्ट किया जाता है।
वो 16 देश जहां बुर्का नहीं पहन सकतीं महिलाएं, वो 5 देश जहां नहीं पहना तो मिलेगी सजा
क्या है हिजाब, नकाब, बुर्का, अल-अमीरा और दुपट्टा, कैसे हैं एक दूसरे से अलग, पढ़िए डिटेल स्टोरी