अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि चंद्रमा के दोनों ध्रुवों में काफी ज्यादा समानता हैं। दोनों ध्रुवों पर ऊंचे-ऊंचा भू-भाग और ऊबड़-खाबड़ वाली जगहें हैं। बड़े और छोटे गड्ढे दोनों ध्रुव पर पाए जाते हैं। इसलिए दोनों के बीच अंतर कुछ खास नहीं है।
ट्रेंडिंग डेस्क : 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) श्रीहरिकोटा से चांद के लिए रवाना हो जाएगा। ISRO की कोशिश है कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास एक अनजान जगह हो। यह चांद का ऊंचे पहाड़ों और गड्ढों से भरा काफी अंधेरे वाला इलाका है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि हमेशा ठंडी रहने वाली चांद की इस क्षेत्र की उपसतह पर पानी और बर्फ मिल सकता है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर के देश अपने मून मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग इसी दक्षिणी ध्रुव पर करवाने का प्रयास करते हैं। सवाल यह है कि आखिर इस जगह को इतनी तरजीह क्यों दी जाती है? आइए जानते हैं...
चंद्रयान 3 जैसे मून मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों
'द वीक' की रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान-3 जैसे मिशन मून के लिए चांद के साउथ पोल को प्राथमिकता देने को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ अंतरिक्ष वैज्ञानिक मानते हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर पानी और बर्फ ज्यादा है। यहां लैंडिंग भी काफी आसानी से हो जाती है। जबकि कुछ का मानना है कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव सौर ऊर्जा, भौतिक संसाधनों के मामले में उत्तरी ध्रुव से काफी बेहतर है। 1990 के दशक में कई मून मिशन भी दक्षिणी ध्रुव पर ही फोकस्ड थे। इसी वजह से आगे के चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मिशन में दक्षिणी ध्रुव को तरजीह दी जाने लगी।
Chandrayaan 3 Launch Live Updates
चंद्रमा के दोनों ध्रुव में कितना अंतर
अंतरिक्ष विशेषज्ञों की माने तो चंद्रमा के दोनों ध्रुव काफी ज्यादा समान हैं। दोनों में ऊंचे-ऊंचे भू-भाग और ऊबड़-खाबड़ वाली जगहें हैं। बड़े और छोटे गड्ढे दोनों ध्रुव पर पाए जाते हैं। इसलिए दोनों के बीच अंतर कुछ खास नहीं है। उनका मानना है कि चांद के दोनों ध्रुव पर ऐसी जगहें हैं, जहां हमेशा धूप खिली रहती है। चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी पहुंचती है और सूर्य से प्रकाशित टॉप 20 जगहों में सात उत्तरी ध्रुव के पास हैं। दक्षिणी ध्रुव के मुकाबले उत्तरी ध्रुव पर सूर्य का प्रकाश ज्यादा समय तक रहता है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को इसलिए भी तरजीह
वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद का दक्षिणी ध्रुव ऐटकेन बेसिन में है। यह एक विशाल गड्ढा है। यही जगह दक्षिणी ध्रुव को भौगोलिक रूप से काफी पसंदीदा बनाता है। उम्मीद है कि सतह या उसके पास चंद्रमा की गहरी परत और ऊपरी मेटल हो। इसके अलावा बर्फ के लिए भी यह उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा ज्यादा उम्मीद वाली जगह है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चंद्रमा के दोनों ध्रुवों की जानकारी वैज्ञानिकों के पास है। इस हिसाब से दोनों ध्रुवों पर पानी की बर्फ का पता चला है। हालांकि, दक्षिणी ध्रुव में स्थायी छाया और ठंडे तापमान वाला इलाका काफी ज्यादा है, इसलिए माना जाता है कि वहां पानी की संभावना ज्यादा है।
दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की संभावना कितनी है
दिसंबर 1994 में जीन शूमेकर और उनकी टीम ने साइंस जर्नल में 'The South Pole Region of the Moon as Seen by Clementine' नाम से एक पेपर पब्लिश किया। जिसमें बताया गया कि किस तरह क्लेमेंटाइन मिशन से पहले दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा का सबसे कम जानकारी वाला क्षेत्र था। इस मिशन ने इस ध्रुव के बारें में बहुत सी जानकारियां उपलब्ध कराईं। इस पेपर का टॉपिक पहले 'The Polar Region' रखा जाना था लेकिन बाद में 'The South Polar Region' रखने का फैसला हुआ। क्लेमेंटाइन ने दोनों ही ध्रुवों से डेटा इकट्ठा किया लेकिन चूंकि मिशन के दौरान दक्षिणी ध्रुव पर अधिक छाया थी, इसलिए इस क्षेत्र में बर्फ की संभावना भी ज्यादा बढ़ गई। हालांकि इस बात का भी स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव बेहतर जगह ही है।
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