LVM3 रॉकेट ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में पहुंचा दिया है। इसने पृथ्वी की परिक्रमा शुरू कर दी है। Chandrayaan-3 की सफल लॉन्चिंग पर श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में जश्न मनाया गया।
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Chandrayaan-3 चंद्र यात्रा पर हुआ रवाना, ISRO के LVM3 ने इसे सफलतापूर्वक किया स्थापित, देखें वीडियो
श्रीहरिकोटा। आज का दिन इसरो (Indian Space Research Organisation) के लिए बेहद खास है। इसरो ने अपने तीसरे चंद्रमा मिशन 'चंद्रयान -3' को लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे लॉन्च किया गया।
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LVM3 का तीसरा चरण पूरा हो गया है। इसके साथ ही चंद्रयान 3 LVM3 रॉकेट से अलग हो गया है। चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा दिया गया है। अब चंद्रमा तक का सफर चंद्रयान 3 अपने इंजन के दम पर पूरा करेगा। 5 अगस्त 2023 को चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। 23 अक्टूबर 2023 को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
रॉकेट LVM3 का तीसरा चरण काम कर रहा है। चंद्रयान तीन 185 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया है।
इसरो ने अपने चंद्रयान- 3 को लॉन्च कर दिया है। LVM3 रॉकेट का दो स्टेज सफलतापूर्वक पूरा हो गया। तीसरे चरण में क्रायोजेनिक इंजन सफलतापूर्वक शुरू हो गया है। क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है।
चंद्रयान तीन को अंतरिक्ष में ले जाने वाला रॉकेट LVM3 ऑटोमैटिक लॉन्च सीक्वेंस में है। ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने कमांड ले ली है। दुनिया भर से मिशन मून के लिए इसरो को शुभकामनाएं मिल रहीं हैं। फिल्म स्टार अजय देवगन ने कहा, “आज, सभी की निगाहें टीवी और आसमान पर टिकी होंगी। हमारा देश एक और ऐतिहासिक उपलब्धि के कगार पर खड़ा है।”
श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पास हजारों की संख्या में लोग चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग देखने पहुंचे हैं। लोग अपने हाथों में तिरंगा झंडा लिए हुए हैं। तेज धूप से बचने के लिए लोग अपने साथ छतरी लेकर आए हैं।
इसरो के मून मिशन के तीन चरण हैं। पहला है पृथ्वी केंद्रित चरण, दूसरा है चंद्र ट्रांस्फर स्टेज और तीसरा है चंद्रमा केंद्रित चरण। चंद्रयान के साथ जा रहा रोवर चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के पास सतह के गुणों की जांच करेगा। यह चांद के भूकंपीय गतिविधि का पता लगाएगा और चंद्र क्रस्ट और मेंटल की संरचना का जानकारी लेगा।
चंद्रयान किसी विमान की तरह धरती से उड़कर चांद तक नहीं पहुंच सकता। गुरुत्वाकर्षण बल ऐसा नहीं करने देगा। चंद्रयान को पहले धरती की कक्षा में छोड़ा जाएगा। पहले यह धरती के चक्कर लगाएगा। इस दौरान वह धीरे-धीरे धरती से दूर और चंद्रमा के करीब पहुंचेगा। इसके बाद चंद्रयान बड़ी छलांग लगाते हुए चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद चांद की परिक्रमा करते हुए उसके करीब पहुंचेगा और आखिर में चांद की सतह पर लैंड करेगा।
चंद्रयान तीन को अंतरिक्ष में ले जा रहे रॉकेट LVM 3 का वजन 642 टन है। यह तीन स्टेज वाला रॉकेट है। आखिरी स्टेज में चंद्रयान तीन LVM 3 से अलग होगा। LVM 3 के लॉन्च होने और चंद्रयान तीन के अलग होने में 16 मिनट लगेंगे।
मिशन चंद्रयान 3 मिशन पर 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। इसका रोवर 14 दिनों तक चांद की सतह पर खोज करेगा। रोवर अपने साथ कई अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण ले जाएगा।
चंद्रयान-3 को इसरो का नया रॉकेट LVM3-M4 अंतरिक्ष में ले जाएगा। चंद्रमा तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-3 को करीब 3.84 लाख किलोमीटर दूरी तय करनी होगी। यह 23-24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। चंद्रयान 3 का वजन 2,148 किलो है। इसका लैंडर 1,723.89 किलो का है। चंद्रयान 3 अपने साथ 26 किलो का रोवर ले जा रहा है।
चंद्रयान 3 का मकसद चंद्रमा की सतह पर भारत की सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करना है। चंद्रयान तीन के साथ भेजा जा रहा रोवर चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और खोज करेगा। इस मिशन की सफलता के साथ ही भारत ऐसा चौथा देश बन जाएगा जिसने चंद्रमा पर कदम रखा है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ऐसा कर चुके हैं।
चांद पर कदम रखने की भारत की यह दूसरी कोशिश है। इससे पहले इसरो ने 2019 में चंद्रयान -2 को भेजा था। चंद्रयान -2 के लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इसके बाद मिशन चंद्रयान-3 की शुरुआत हुई। चंद्रयान तीन में चंद्रयान -2 की तुलना में काफी बदलाव किया गया है।