उत्कल दिवस: जनजातीय आबादी है खासियत, राज्य और राजधानी दोनों का नाम बदला, रसगुल्ले पर हुई थी बंगाल से लड़ाई

ओडिशा (Odisha) जिसका पहले नाम उड़ीसा था, आज धूमधाम से उत्कल दिवस (Utkal Diwas) या ओडिशा दिबाशा (Odisha Day 2022) मना रहा है। ऐसा राज्य जिसका नाम ही नहीं राजधानी भी बदली गई, वहां रसगुल्ला (Rasgulla Controversy) को लेकर जायका बिगड़ गया था। जानिए विवाद क्या था और किसके साथ था। नतीजा क्या निकला इसका।
 

नई दिल्ली। Odisha Day 2022: ओडिशा (Odisha) आज उत्कल दिवस (Utkal Diwas) मना रहा। इस राज्य को 1936 में आज के दिन भाषा के आधार पर अलग राज्य का दर्जा मिला था। इस राज्य को पहचान बिहार (Bihar), मद्रास प्रेसीडेंसी (Madras Presidency) और संयुक्त बंगाल (Joint Bengal) के कुछ हिस्सा को अलग करके दी गई थी। तब नाम रखा गया उड़ीसा, जो बाद में ओडिशा में तब्दील हुआ। 

खनिज संपदा से समृद्ध इस राज्य में जनजातीय आबादी काफी ज्यादा है। देश में यह तीसरा ऐसा राज्य है, जहां जनजातीय आबादी ज्यादा है। इसे उत्कल दिवस या उत्कल दिबाशा भी कहते हैं। ओडिशा में यह दिन बहुत उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। राज्यभर में सरकारी कार्यालय सजाए जाते हैं। दीपावली की तरह घर, दुकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सजावट होती है। अलग-अलग खेल प्रतियोगिताएं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। 

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2011 में बदल गया राज्य का नाम 
यहां विभिन्न भाषाएं और बोलियां हैं, मगर आधिकारिक भाषा उड़िया है। वहीं, कुछ इलाकों में बंगाली भी बोली जाती है। अंग्रेजी सरकार ने भाषा के आधार पर ही इसे अलग प्रांत का दर्जा दिया था। उड़िया से ही इसका नाम पहले उड़ीसा था, मगर 2011 में यह बदलकर ओडिशा हो गया। वहीं, राजधानी भी इसकी कटक हुआ करती थी, मगर आजादी के बाद भुवनेश्वर कर दी गई। 

रसगुल्ले ने बंगाल और ओडिशा के रिश्तों में लाई थी कड़वाहट 
पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच रसगुल्ला को लेकर तीखी जंग हुई थी। हालांकि, बंगाल को इसमें जीत मिली थी। यह जंग थी कि रसगुल्ला किसने ईजाद किया था बंगाल ने या ओडिशा ने। भौगोलिक पहचान यानी जियोग्रॉफिकल आईडेंटिटी में इसकी पहचान बंगाल को दी गई थी। यह मामला पहली बार 2015 में सुर्खियों में आया था। तब ओडिशा के तत्कालीन विज्ञान व तकनीकी मंत्री प्रदीप कुमार पाणिग्रही ने दावा किया था कि रसगुल्ले का ईजाद ओडिशा में हुआ था। इस दावे को साबित करने के लिए उन्होंने भगवान जगन्नाथ के खीर मोहन प्रसाद को भी जोड़ा था। उनके इस दावे पर बंगाल के खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री अब्दुर्रजाक ने कहा था कि वे ओडिशा को इसका क्रेडिट नहीं लेने देंगे, क्योंकि इसका ईजाद बंगाल में हुआ था। 

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