सत्ता नहीं एक फल ने कराया दो रियासतों में युद्ध, हजारों सैनिक मरे, मगर दोनों राजा को युद्ध की जानकारी नहीं थी

यह अनोखा युद्ध दो रियासतों के बीच हुआ और इसमें हजारों सैनिकों ने जान गवाईं। हैरानी इस बात की भी थी कि दो रियासतों के बीच लड़ा गया यह युद्ध इन दोनों राजाओं की जानकारी में नहीं था और जब तक पता चलता, तब तक हजारों सैनिकों की मौत हो चुकी थी। 

नई दिल्ली। दुनियाभर में लाखों युद्ध हुए होंगे। कभी पानी के लिए, कभी ताकत के लिए, कभी तेल के लिए, कभी महिला के लिए तो कभी सत्ता के लिए। इनमें हजारों सैनिकों की मौत हुई होगी। मगर क्या कभी आपने सिर्फ एक फल के लिए युद्ध होने की बात सुनी है। यह बिल्कुल सच है। युद्ध दो रियासतों के बीच हुआ और इसमें हजारों सैनिकों ने जान गवाईं। इस युद्ध का नतीजा क्या निकला, यह हम आपको आगे बता रहे हैं। 

वैसे तो सभी जानते हैं कि युद्ध किसी का भला नहीं करता। युद्ध तबाही लाता है। मौत लाता है। हालांकि, एक युद्ध ऐसा भी हुआ, जो सिर्फ तरबूज पर कब्जे के लिए लड़ा गया। इतिहास में यह युद्ध मतीरे की राड़ नाम से मशहूर है। राजस्थान में मतीरा तरबूज को कहते हैं, जबकि यहां लड़ाई को राड़ भी कहते हैं। यह युद्ध दो रियासतों, बीकानेर और नागौर के बीच लड़ा गया था। युद्ध इतना भीषण था कि इसमें हजारों सैनिकों की मौत हो गई थी। 

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दोनों के अपने तर्क और अपनी दलीलें 
यह मामला बीकानेर रियासत के सिल्वा गांव और नागौर रियासत का जखनियां गांव का है। बीकानेर रियासत में तरबूज की एक बेल थी। इस बेल का एक तरबूज नागौर रियासत में जखनियां गांव की जमीन पर उगा। इस तरबूज पर किसका कब्जा हो, इसको लेकर विवाद शुरू हो गया, जो बाद में युद्ध में बदल गया। बीकानेर रियासत का तर्क था कि जड़ उसके क्षेत्र में है, इसलिए फल उसका हुआ। वहीं, नागौर रियासत की दलील थी कि  फल उसकी जमीन पर है, इसलिए तरबूज उसका हुआ। 

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फल पर किसका अधिकार हो, इसे लेकर युद्ध 
जब बातचीत से मामला नहीं सुलझा, तो तलवारें निकल गईं। युद्ध शुरू हो गया। वैसे तो यह युद्ध दो रियासतों के बीच लड़ा गया, मगर हैरानी इस बात की थी, युद्ध की जानकारी दोनों रियासतों के राजा को नहीं थी। जी हां, एक छोटी सी बात पर दो गांव वाले आपस में ही लड़ रहे थे और अपनी जान गवां रहे थे। वैसे, जब तक राजाओं को इसकी जानकारी हुई, तब तक बीकानेर रियासत ने युद्ध जीत लिया था। जब यह युद्ध चल रहा था, तब दोनों रियासत मुगलों के कब्जे में जा चुकी थी। 

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