यहां 7 साल की उम्र से छात्रों को देने लगते हैं सेक्स एजुकेशन, इस वजह से सिलेबस में होता है कंपलसरी सब्जेक्ट

स्विस सरकार की सेक्स एजुकेशन गाइडलाइन के मुताबिक इसका उद्देश्य सेक्स एजुकेशन के लिए एक व्यापक और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

Contributor Asianet | Published : Mar 18, 2023 4:16 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. अमेरिका के ओरेगॉन के एक हाई स्कूल में सेक्स फैंटेसी पर असाइनमेंट दिया गया जिससे बवाल मच गया है। यहां बच्चों को सेक्स फैंटेसी पर कहानी लिखकर आने को कहा गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा भी देश है जहां प्राइमरी स्कूल से ही बच्चों को सेक्स के बारे पढ़ाया जाने लगता है? हम बात कर रहे हैं स्विट्जरलैंड की, जहां बच्चों को महज 7 साल की उम्र से स्कूलों में सेक्स एजुकेशन दी जाने लगती है। आइए जानते हैं…

सेक्स एजुकेशन कंपलसरी सब्जेक्ट

यहां सेक्स एजुकेशन एक कंपलसरी सब्जेक्ट है जो बायोलॉजी करिकुलम के अंतर्गत पढ़ाया जाता है। इसमें सेक्स से जुड़े हर टॉपिक शामिल होते हैं, जैसे रीप्रोडक्टिव हेल्थ, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, सेक्शुअल कंसेन्ट, कॉन्ट्रासेप्शन आदि। बच्चों की उम्र के मुताबिक सिलेबस में और विषय भी शामिल किए जाते हैं।

सिलेबस बनाने को लेकर है छूट

स्विट्जरलैंड में डिसेंट्रलाइज्ड एजुकेशन सिस्टम चलता है। ऐसे में सभी प्रांतों को अपने यहां बच्चों की पढ़ाई का सिलेबस बनाने की छूट है। ऐसे में सेक्स एजुकेशन विषय पर हर प्रांत अपने हिसाब से चीजों में फेरबदल कर सकता है। वहीं स्विस सरकार की सेक्स एजुकेशन गाइडलाइन के मुताबिक इसका उद्देश्य सेक्स एजुकेशन के लिए एक व्यापक और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

क्यों प्राइमरी स्कूल से दी जाती है सेक्स एजुकेशन?

स्विट्जरलैंड में जैसे-जैसे बच्चे अगली क्लास में पहुंचते हैं और बड़े होते हैं वैसे-वैसे सेक्स एजुकेशन का विषय ज्यादा गंभीर होता जाता है। उन्हें जेंडर, सेक्शुअल रिलेशन, शरीर के विभिन्न अंग आदि के बार में पढ़ाया और समझाया जाता है। समय के साथ-साथ बच्चे इस विषय पर खुलकर सवाल-जवाब कर सकते हैं। कुल मिलाकर देखें तो स्विट्जरलैंड में सेक्स एजुकेशन का उद्देश्य युवाओं को सेक्स से जुड़ी साक्ष्य आधारित जानकारी देना है और सेक्स के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण और स्वस्थ व्यावहार को बढ़ावा देना है, जिससे वे भविष्य में सेक्शुअल हेल्थ और रिलेशन से जुड़े मामलों में समझदारी से निर्णय ले सकें।

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