World TB Day 2022: सतर्क रहें- महिलाओं को बांझ बना देती है टीबी, लक्षण तब सामने आते हैं जब कुछ नहीं कर सकते

World TB day 2022: जेनीटल ट्यूबरकुलोसिस (Genital Tuberculosis) का पता लगाने के लिए डॉक्टर ट्यूबरकुलोसिस स्किन टेस्ट (Tuberculosis Skin Test) की सलाह देते हैं। इस बीमारी के लक्षण है थकान, बुखार, पीरियड में अनियमितता और पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द बने रहना। सुरक्षित रहना ही इस बीमारी से बचाव है। 
 

नई दिल्ली। टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) एक संक्रामक बीमारी है। इसका एक रूप है जेनीटल टीबी (Genital TB), जो महिलाओं फेलोपियन ट्यूब, ओवरीज या यूट्रस कहीं भी हो सकता है। इस बीमारी का पता तभी लग पाता है, जब महिला मां नहीं बनने की समस्या का सामना कर रही होती है। तब जांच में इस रोग का पता चलता है। जेनीटल टीबी भी माइकोबैटेरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टेरिया से होता है। 

इस बीमारी का खतरा उन्हें अधिक रहता है, जो पहले से किसी संक्रमित मरीज के करीब रहता हो। इसका संक्रमण हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है। शुरुआती दौर में यह बीमारी फेफड़े पर असर डालती है। इसके बाद यह बैक्टेरिया खून के प्रवाह से दूसरे अंगों तक पहुंच जाते हैं। विशेष तौर पर इसके बैक्टेरिया उन पर ज्यादा असर करते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। 

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मरीज को किस तरह की समस्याएं हो सकती है 
शुरू में जेनीटल टीबी का पता लग पाना कठिन होता है। इसके लक्षण थकान, बुखार और पीरियड का नहीं होना या फिर समय पर नहीं आना शामिल है। इसके अलावा प्रभावित महिलाओं को पीरियड के दौरान रक्तस्राव भी अधिक होता है। पेट के निचले हिस्से में अक्सर दर्द रहता है और गुप्तांग से सफेद पानी निकलता रहता है। जेनीटल टीबी की जांच के लिए डॉक्टर ट्यूबरकुलोसिस स्किन टेस्ट की सलाह देते हैं। 

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बीमारी का पता, जांच और बचाव 
ट्यूबरकुलोसिस स्किन टेस्ट की मदद से शरीर के किसी भी अंग में हुई टीबी का पता लग सकता है। इसके अलावा पेट के निचले हिस्से का अल्ट्रासाउंड करके भी जेनीटल टीबी का पता लगाया जा सकता है। गर्भाशय से निकाले गए टीशू की जांच करके एंडोमेट्रियल टीबी का पता लगा सकते हैं। फेलोपियन ट्यूब की टीबी का पता लगाने के लिए एचएसजी जांच की भी डॉक्टर सलाह देते हैं। डॉक्टरों की मानें तो जेनीटल टीबी का उपचार करीब 7 साल तक लगातार जारी रखना पड़ता है। मगर बांझपन की समस्या पूरी तरह दूर नहीं हो पाती। इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए संक्रमित मरीजों से दूर रहना और खुद को सुरक्षित रहना प्रमुख उपाय है। 

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