World TB day 2022: फेफड़े के अलावा शरीर के और किन अंगों पर प्रभाव डाल सकता है टीबी

तपेदिक, क्षय रोग जिसे टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) भी कहते हैं, एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। वर्ल्ड टीबी डे (World TB day 2022) पर यह जानना जरूरी है कि ज्यादातर यह रोग फेफड़े को प्रभावित करता है, मगर अक्सर यह रीढ़, गुर्दे, लीवर और दिमाग में भी असर डालता है। शुरुआती लक्षण सामने आने पर ही  इसका इलाज गंभीरता से शुरू कर देना चाहिए। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 24, 2022 5:22 AM IST / Updated: Mar 24 2022, 11:04 AM IST

नई दिल्ली। टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) जिसे तपेदिक या क्षय रोग भी कहते हैं, न सिर्फ खतरनाक बल्कि, जानलेवा भी है। वैसे तो यह संक्रामक रोग ज्यादातर फेफड़े को प्रभावित करता है, मगर डॉक्टरों के मुताबिक यह रोग रीढ़, गुर्दे, लीवर और दिमाग को भी प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी में मरीज का खांसते-खांसते बुरा हाल हो जाता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, टीबी की बीमारी से रोज चार हजार से ज्यादा लोगों की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्ष 2020 में करीब 15 लाख लोगों की टीबी की वजह से मौत हो गई थी। यह सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है।  

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बता दें कि वर्ल्ड टीबी डे (World TB day 2022) हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है और यह दिन डॉक्टर रॉबर्ट कोच की 1892 में उस उपलब्धि को याद करते हुए मनाया जाता है, जिसमें उन्होंने माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की खोज की थी। यह बैक्टेरिया ही जानलेवा टीबी की बीमारी की वजह बनता है। इस वर्ष TB Day की थीम इन्वेस्ट टू इंड टीबी सेव लाइव्स (Invest to End TB Save Lives) है। 

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फेफड़े के अलावा और किन अंगों पर इसका प्रभाव 
टीबी, जिसे ट्यूबरकुलोसिस भी कहते हैं, यह संक्रामक रोग माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस की वजह से होता है। इसके बैक्टेरिया हवा के जरिए फैलते हैं और अमूमन फेफड़े को प्रभावित करते हैं। मगर यह रीढ़, गुर्दा, लीवर और दिमाग पर भी प्रभाव डाल सकता है। यह संक्रामक तो है, मगर मरीज को सिर्फ छूने से ही नहीं फैलता। यह तब फैल सकता है, जब टीबी रोगी मरीज के खांसने, छींकने, बात करने से हवा में बैक्टेरिया मुंह के जरिए बाहर आते हैं। 

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क्या हैं इस बीमारी के शुरुआती लक्षण 
यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी है। सीने में दर्द रहता है। खांसी के दौरान या थूक के साथ खून और बलगम आता है। हमेशा थकान और कमजोरी महसूस होती है। भूख भी कम लगती है। लगातार वजन घट रहा होता है। ठंड लगती है। बुखार रहता है और रात के वक्त पसीना आता है, तो समझिए उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है। 

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किन लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक 
टीबी उन लोगों में होने का खतरा ज्यादा रहता है, जो इसके मरीज के संपर्क में रहते हैं। हालांकि, जिनका रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी  इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, खासकर बुजुर्ग और बच्चे इसके शिकार जल्दी होते हैं। इसके अलावा, जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है, मधुमेह यानी डायबिटिज के रोगी या फिर जिन्हें लंबे समय से कोई पुरानी बीमारी है, टीबी उन्हें अपना शिकार जल्दी बनाती है। साथ ही, जिनके शरीर में कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है या वे लोग जिन्होंने कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी  ली है, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा हो  सकता है। 

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