Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि में सिद्धियां पाने के लिए करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, ध्यान रखें ये बातें

इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) का पर्व 2 से 10 फरवरी तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाएगी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए तंत्र-मंत्र का उपयोग किया जाता है। इसलिए लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही सरल उपाय है।

उज्जैन. गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) में दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ से घर में नकात्मकता प्रवेश नहीं होता है और आपके जीवन में खुशहाली आती है। मां आदिशक्ति प्रसन्न हेती हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं, लेकिन दुर्गासप्तशती का पाठ करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जानते हैं, नहीं तो अशुभ परिणाम भी मिल सकते हैं। आगे जानिए दुर्गा सप्तशती से जुड़ी खास बातें…

पाठ करने से पहले ध्यान रखें ये बात
यदि आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करने जा रहे हैं तो सबसे पहले नवार्ण मंत्र, कवच, कीलक व अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, तत्पश्चात दुर्गा सप्तशती के पाठ का आरंभ करें। इस तरह से पाठ करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है और मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। 

शब्दों का उच्चारण होना चाहिए स्पष्ट 
पाठ करते समय सबसे आवश्यक होता है कि शब्दों का उच्चारण सही और स्पष्ट होना चाहिए। कुछ लोग गाते हुए पाठ करते हैं तो वहीं कुछ लोग बहुत ही तेजी के साथ पाठ करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार पाठ को मध्यम स्वर में आराम से समझते हुए पढ़ना चाहिए। शास्त्रों में शब्दों के दबाकर या फिर बिना उसके अर्थ को जाने पढ़ना निषेध बताया गया है। सही प्रकार से पाठ करने से मां भगवती प्रसन्न होती है और अपनी कृपा बरसाती हैं। 

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हाथ में न पकड़ें पुस्तक
अक्सर हम यदि कोई पाठ करते हैं तो पुस्तक को हाथ में ही पकड़े रहते हैं। यदि आप नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो इस बात को ध्यान में रखें कि पुस्तक को कभी हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए बल्कि उसे किसी चौकी या फिर पुस्तक स्टैंड पर रखकर ही पढ़ना चाहिए। सही प्रकार से दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान
नवरात्रि या फिर अन्य किसी भी दिन आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो इस दौरान बीच में रुकना नहीं चाहिए और न ही पाठ छोड़कर उठना चाहिए। बीच-बीच में बोलना नहीं चाहिए। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय और तीन खंड हैं, प्रथम, मध्यम और उत्तर, यदि आप एक बार में पूरा पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो आप एक बार में एक खंड का पाठ भी कर सकते हैं।

अंत में ये काम करें
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पाठ या फिर अध्याय समाप्त होने पर इति, समाप्त, या वध जैसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। यह शुभ नहीं माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इति का प्रयोग करने से धन-धान्य में कमी, वध का प्रयोग करने से कुल वृद्धि में बाधा, तो वहीं समाप्त का प्रयोग करने से स्वास्थ्य में कमी आती है।


 

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