हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव मनुष्यों को उसके पापों का दंड देते हैं। अगर किसी व्यक्ति पर शनि की दृष्टि पड़ जाए, तो वह राजा से रंक बन जाता है। जिन लोगों पर इनकी कृपा दृष्टि पड़ती है, उनकी किस्मत खुलने में देर नहीं लगती।
उज्जैन. मान्यता है कि कुंडली में शनि की स्थिति व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। कुंडली में जिस स्थान पर शनि ग्रह स्थित होता है, उसे देखते हुए लोगों को कुछ विशेष कार्य करने से बचना चाहिए। लाल किताब में इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
1. यदि शनि ग्रह आपकी कुंडली के पहले खाने यानी प्रथम भाव में है, तो आपको अपने झगड़ालू स्वभाव को छोड़ देना चाहिए।
2. दूसरे खाने में है तो आपको जुआ नहीं खेलना चाहिए।
3. यदि कुंडली के तीसरे खाने में है तो आपको दक्षिण दिशा में मकान का प्रवेश द्वार नहीं बनाना चाहिए।
4. चौथे खाने में होने पर पराई स्त्री के ऊपर नजर ना रखें।
5. पाचवें खाने में होने पर मकान नहीं बनवाना चाहिए। ऐसी स्थिति में बने बनाए मकान को खरीदने की कोशिश करें या फिर अपने दादा-परदादा के घर में रहें।
6. छटवें खाने में होने पर भी मकान नहीं बनवाना चाहिए। इस स्थिति में मदिरा का सेवन बिल्कुल भी ना करें।
7. यदि शनि ग्रह आपकी कुंडली के सातवें खाने में है, तो आपको पराई स्त्री के मोह में नहीं पड़ना चाहिए।
8. आठवें खाने में होने पर वैश्या के साथ संपर्क नहीं बनाना चाहिए। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार का जुआ ना खेलें।
9. शनि ग्रह नौवें खाने में है तो 2 से ज्यादा मकान ना बनवाएं।
10. दसवें खाने में होने पर शराब का सेवन ना करें। ऐसी स्थिति में दूसरों का भला करें।
11. शनि जब ग्यारहवें खाने में होता है, तब किसी को उधार नहीं देना चाहिए।
12. शनि यदि आपकी कुंडली के बारहवें खाने में है, तो मकान जैसा बनता है उसे वैसा ही बनने देना चाहिए। उसमें अपनी बुद्धि ना लगाएं।
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