Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि की रात करें ये खास उपाय, दूर हो जाएंगे ग्रहों से जुड़े सभी दोष

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा व व्रत किया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2022 12:12 PM IST / Updated: Feb 28 2022, 06:00 PM IST

उज्जैन. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर किए गए उपायों का फल पहुत ही जल्दी प्राप्त होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव ही सभी ग्रहों और तंत्र-मंत्र व ज्योतिष के जनक हैं। इसलिए इस दिन तंत्र-मंत्र और ज्योतिष से जुड़ा कोई भी उपाय किया जा सकता है। अगर आपकी जन्म कुंडली (birth chart) में ग्रहों से संबंधित कोई दोष है तो उसके निवारण के लिए भी महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का दिन बहुत ही विशेष है। इस दिन शिव पूजन के साथ नवग्रह पूजन करने से ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। 

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कैसे दूर करें ग्रहों के दोष?
किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में यदि कोई ग्रह पीड़ाकारक बनकर बैठा हुआ है तो शिव कृपा से वह भी शुभ फल देने लगता है। महाशिवरात्रि के दिन नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए आधी रात में नवग्रह कवच के 21 बार पाठ करें। इससे नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है और उनकी पीड़ा परेशान नहीं करती। यहां दिया जा रहा नवग्रह कवच यामल तंत्र में वर्णित है। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं। नवग्रह कवच का पाठ करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। ऊनी आसन पर बैठकर कवच का पाठ करें। पाठ के दौरान शुद्ध घी का दीपक जलते रहना चाहिए।

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ऊं शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:। 
मुखमंगारक: पातु कण्ठं च शशिनंदन:।। 
बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनंदन:। 
जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनंदन:।। 
पादौ केतु सदा पातु वारा: सर्वागमेव च। 
तिथयौष्टौ दिश: पातु नक्षत्राणि वपु: सदा।। 
अंसौ राशि सदा पातु योग्श्च स्थैर्यमेव च। 
सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्।। 
रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्। 
श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।। 
पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते। 
मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्।। 
जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:। 
एतां रक्षां पठेद् यस्तु अंग स्पृष्टवापि वा पठेत् ।। 
।। इति श्री नवग्रह कवचं संपूर्णम् ।।


 

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