Meen Sankranti 2022: 14 मार्च की रात सूर्य करेगा मीन राशि में प्रवेश, जानिए क्यों खास है परिवर्तन

Published : Mar 07, 2022, 05:37 PM ISTUpdated : Mar 14, 2022, 06:13 PM IST
Meen Sankranti 2022: 14 मार्च की रात सूर्य करेगा मीन राशि में प्रवेश, जानिए क्यों खास है परिवर्तन

सार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक निश्चित समय अंतराल के बाद हर ग्रह राशि बदलता है। सूर्य के राशि परिवर्तन का समय लगभग 30 दिन है। जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में कुल 12 संक्रांति होती है।

उज्जैन. इस समय सूर्यदेव कुंभ राशि में है। 14 मार्च, सोमवार की रात जब ये ग्रह राशि बदलकर मीन में प्रवेश करेंगे तो ये मीन संक्रांति (Meen Sankranti 2022) कहलाएगी। शास्त्रों में मीन संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान,दान,तप करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्यदेव की विशेष उपासना और मंत्रों का जाप करने से जीवन में सदैव सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

ये भी पढ़ें- बुध के राशि परिवर्तन से कुंभ में बना बुधादित्य योग, किसे होगा फायदा, शुभ फल पाने के लिए कौन-से उपाय करें?
 
मीन संक्रांति का महत्व
वैसे तो सभी संक्रांतियों का विशेष महत्व होता है, लेकिन मीन संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान करने पर विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर भगवान सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष में सूर्यदेव को आत्मा और मान-सम्मान का कारक ग्रह माना गया है इसलिए संक्रांति पर गंगा स्नान और सूर्यदेव की पूजा करने पर पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन में गुप्त शत्रुओं का नाश करने और मन से नकारात्मक ऊर्जा का दूर करने के लिए आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

ये भी पढ़ें- 10 से 17 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, इस दौरान कौन से काम करें और कौन-से काम करने से बचें?

मीन संक्रांति पर इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा 
- मीन संक्रांति पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। ऐसा न कर पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहा लेना चाहिए। इससे तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है।
- इसके बाद उगते हुए सूरज को प्रणाम करें। फिर अर्घ्य दें। उसके बाद धूप-दीप दिखाएं और आरती करें। आखिरी में फिर से सूर्य देवता को प्रणाम करें और 7 बाद प्रदक्षिणा करें। यानी एक ही जगह पर खड़े होकर 7 बार परिक्रमा करते हुए घूम जाएं।
- हो सके तो इस दिन व्रत भी कर सकते हैं। पूरे दिन नमक खाए बिना व्रत रखने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामना पूरी होती है।

 

ये भी पढ़ें- 

Holashtak 2022: 17 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म हो जाएगा फाल्गुन मास, इसके पहले 8 दिन रहेगा होलाष्टक


31 मार्च तक मकर राशि में रहेगा सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह, इन 4 राशि वालों की चमकेगी किस्मत

गुजरात के वलसाड़ में है 300 साल पुराना अनोखा मंदिर, यहां होती है मछली की हड्डियों की पूजा

क्या महाभारत युद्ध में शिवजी ने भी दिया था पांडवों का साथ, अर्जुन ने महर्षि वेदव्यास को बताई थी ये अनोखी घटना?

PREV

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें