
लखनऊ (Uttar Pradesh). यूपी में 19 और 20 दिसंबर 2019 में नागरिकता कानून के खिलाफ 22 जिलों हुई हिंसा मामले में पुलिस ने बीते 4 दिनों में 108 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि ये सभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य हैं। यूपी के कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया, पीएफआई पश्चिमी यूपी में एक्टिव है। सीएए हिंसा में इसकी भूमिका पाई गई थी।
इन जिलों में सबसे ज्यादा एक्टिव है पीएफआई
हितेश चंद्र ने बताया- पीएफआई संगठन तो पूरे यूपी में है। लेकिन, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़, गाजियाबाद और सीतापुर में ये सबसे ज्यादा एक्टिव है। साल 2009 में दिसंबर महीने में हिंसा के बाद पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।
क्या है पीएफआई
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया, साल 2001 में भारत सरकार के द्वारा स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जिसके बाद दक्षिण भारत के 3 संगठनों में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट केरल, मनीथा निधि परसाई तमिलनाडु एवं कर्नाटका फॉर्म फॉर डिग्निटी कर्नाटका ने साल 2006 में सम्मेलन के बाद केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई नाम का नया संगठन बनाया। इसकी स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी।
पीएफआई ने की थी हिंसा के लिए फंडिंग
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में पीएफआई द्वारा भीड़ को भड़काने और हिंसा फैलाने के लिए यूपी के कई जिलों में मोटी रकम जुटाने का मामला सामने आया था। ईडी की जांच में सामने आया था कि हिंसा फैलाने में पीएफआई का भी हाथ है।
मेरठ में गिरफ्तार लोगों को कोर्ट ने किया रिहा
हिंसा के बाद पुलिस ने मेरठ में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिनमें से 5 को कोर्ट से जमानत मिल गई। पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि इन युवकों से किस तरह की शांतिभंग होने का खतरा था? या फिर 20 दिसंबर की हिंसा में इनकी क्या भूमिका थी?
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