
वाराणसी (Uttar Pradesh) । कोरोना वायरस के खौफ ने 30 साल पुरानी परंपरा पर ब्रेक लगा दिया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि गंगा आरती में अब आम लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। जिसे गंगा सेवा निधि ने भी मान लिया है। इससे अब दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की दैनिक आरती का स्वरुप सांकेतिक कर दिया गया। इस परंपरा का निवर्हन 31 मार्च तक किया जाएगा। बता दें कि वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर हर दिन मां गंगा की दैनिक आरती होती है। यह सिलसिला साल 1990 से अनवरत चल रहा है।
आम जनता नहीं लेगी हिस्सा
वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा ने बताया कि, गंगा आरती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। आरती एक निरंतरता की परंपरा है। इसे साधारण या छोटे रुप में भी किया जा सकता है। इसमें सार्वजनिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आरती के अलावा कोई भी आम जनता इसमें भाग नहीं लेगी।
संस्थाध्यक्ष ने कही ये बातें
गंगा सेवा निधि संस्था अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने कहा कि, शुरुआत में यहां गंगा आरती एक व्यक्ति व दो कन्याएं ऋद्धि-सिद्धि करती थी। आरती का कार्यक्रम पिता सतेंद्र मिश्रा ने शुरू किया था। अब आरती का स्वरुप बदल चुका है। सात या पांच पंडितों द्वारा आरती होती है। हर दिन हजारों भारतीय व विदेशी इसमें शामिल होते हैं। बाढ़ के समय घाटों पर पानी भर जाता है तो ऊंचे स्थान से मां गंगा की आरती की जाती है। मिश्रा ने कहा कि आरती का स्वरूप सांकेतिक किया गया गया है। 31 मार्च तक परम्परा का निर्वहन किया जाएगा।
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