इस कुएं के जल से शिव मंदिर में आने वाले भक्त ना सिर्फ अपनी प्यास बुझाते थे बल्कि भगवान शिव का जलाभिषेक भी करते थे। वहीं मस्जिद में नमाज पढ़ने आने वाले लोग भी इसी के पानी से वूजू करते थे।
अयोध्या: अयोध्या को यूं ही नहीं गंगा जमुनी तहजीब तहजीब वाला शहर कहा जाता है। अयोध्या में ऐसे-ऐसे मिसाल हैं जोकि शायद कहीं और ढूंढने से भी ना मिले। जी हां भरतकुंड इलाके का एक कुआं ऐसा ही अप्रतिम उदाहरण है जो शायद ही दूसरा मिले।
भरतकुंड इलाके के पास भदरसा में स्थित एक कुंआ गंगा जमुनी तहजीब का नायाब उदाहरण है। कुएं के चबूतरे से सटा हुआ भगवान शिव का प्राचीनतम मंदिर व कुएं के ठीक सामने बनी पुरानी मस्जिद दोनों के श्रद्धालु इसी कुंए से प्यास बुझाते थे। हालांकि यह कुआं अब जर्जर हो गया है।
हिंदू जलाभिषेक और मुस्लिम करते थे वूजू
इलाके के बुजुर्ग मोहम्मद कादिर के मुताबिक यह कुआं बेहद प्राचीनतम है। यह कुआं किस जमाने का है इसका अंदाजा लगा पाना संभव नहीं है। इस कुएं के जल से शिव मंदिर में आने वाले भक्त ना सिर्फ अपनी प्यास बुझाते थे बल्कि भगवान शिव का जलाभिषेक भी करते थे। वहीं मस्जिद में नमाज पढ़ने आने वाले लोग भी इसी के पानी से वूजू करते थे।
प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा या ऐतिहासिक कुआं
इलाके में रहने वाले 65 वर्षीय रमेश गुप्ता का कहना है कि कहीं न कहीं यह कुआं प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। जिस तरह से यहां मंदिर और मस्जिद दोनों आमने-सामने हैं,और दोनों में आने वाले लोग इसी कुएं के जल से अपनी प्यास बुझाते थे। वह इसी के जल से केपूजा भी करते थे। इस कुएं जा जीर्णोद्धार होना चाहिए था। हालांकि इस पर प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया।