Special Story: रायबरेली को लेकर अति उत्साहित तो नहीं अदिति सिंह? इस चुनाव में अहम हैं ये बदलाव

रायबरेली से विधायक अदिति सिंह इस बार भी चुनावी मैदान में हैं। हालांकि अदिति सिंह कई अहम फैक्टर को दरकिनार कर जीत को लेकर अति उत्साहित दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी तक को चुनौती दे दी है

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2022 8:00 AM IST / Updated: Jan 23 2022, 01:33 PM IST

गौरव शुक्ला 
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद अदिति सिंह आज रविवार 23 जनवरी 2022 को भाजपा कार्यालय पहुंची। जहां महापौर संयुक्ता भाटिया ने मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव, रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह और कांग्रेस की पोस्टर गर्ल रही प्रियंका मौर्य का भव्य स्वागत किया। इसके बाद लालबाग चौराहे पर मौन प्रचार अभियान की भी शुरुआत की गई। हालांकि इससे पहले अदिति सिंह का प्रियंका गांधी को लेकर दिया गया बयान काफी चर्चाओं में रहा। अदिति सिंह ने प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। आज हम बात कर रहे हैं कि आखिर अदिति सिंह इस सीट को लेकर इतना अति उत्साहित क्यों है जबकि 2022 का यह पहला चुनाव है जब रायबरेली की जनता अखिलेश सिंह की गैरमौजूदगी में वोट देगी। 
रायबरेली से प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने के सवाल पर अदिति सिंह ने कहा कि मैं चाहती हूं कि प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़े, जिससे उन्हें पता चल सके की रायबरेली और उसकी जनता के बीच उनकी (प्रियंका गांधी और कांग्रेस) की लोकप्रियता क्या है। अदिति ने कहा कि मैं खुद मना रही हूं कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनावी मैदान में आए। जाहिर तौर पर अभी तक रायबरेली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर आई अदिति सिंह अब भाजपा के साथ हैं। लेकिन उनके इस बयान के बाद लोगों के मन में यह सवाल जरुर खड़ा हो रहा है अदिति के इस अति उत्साह के पीछे की वजह क्या है। 

रायबरेली सीट पर रही है पिता की बादशाहत
दरअसल अदिति सिंह जिस रायबरेली सदर सीट से विधायक हैं वहां उनके पिता अखिलेश सिंह की बादशाहत कायम थी। 2017 में उन्होंने ने ही बेटी अदिति सिंह को रायबरेली विधानसभा से विधायक बनाकर अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके कुछ दिनों बाद ही अखिलेश सिंह का निधन हो गया। अदिति सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और उन्होंने मो. शाबाज खान को 89,163 वोटों से पटखनी दी।

कांग्रेस का गढ़ होने के बावजूद जीत पार्टी नहीं, परिवार की मोहताज 
रायबरेली भले ही कांग्रेस का गढ़ हो लेकिन यह इस सीट पर जीत पार्टी की नहीं बल्कि परिवार की मोहताज मानी जाती है। यह सीट कभी भी स्वर्गीय अखिलेश सिंह के परिवार को निराश नहीं करती है। अखिलेश इस सीट पर कांग्रेस से लेकर पीस पार्टी और निर्दलीय भी चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन हर बार जीत उनकी ही हुई। रायबरेली की यह सीट अदिति सिंह के परिवार के पास 1989 से रहे हैं। इनके ताऊ अशोक कुमार सिंह 1989 और 19991 में जनता दल से विधायक थे। इसके बाद बारी अखिलेश सिंह की आती है। अखिलेश सिंह 1993 से 2012 तक लगातार 5 बार यहां विधायक रहें। हालांकि काफी लंबे अंतराल के बाद ऐसा होगा जब रायबरेली की जनता अखिलेश सिंह की गैरमौजूदगी में वोट देगी। 

अखिलेश सिंह की गैरमौजूदगी में क्या रहेगा परिवार को तिलिस्म बरकरार 
अदिति सिंह इस बार यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि इस बार उनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह होगी कि उनके पिता अब जीवित नहीं है। वर्षों तक अखिलेश सिंह के नाम पर वोट डालती आई जनता क्या इस बार भी यह सीट परिवार की ही झोली में डालेगी या फिर यह तिलिस्म टूट जाएगा। हालांकि इसको लेकर भाजपाई पूरी तरह से आश्वस्त है कि भले ही सदर पर पहले कमल न खिला हो लेकिन इस बार भी जनता परिवार का ही साथ देगी। अदिति सिंह ही रायबरेली से जीत दर्ज करेंगी और यह सीट भाजपा के हिस्से में आएगी। 

जनता के बीच अलग थी अखिलेश सिंह की छवि 
रायबरेली के लोग बताते हैं कि अखिलेश सिंह उनके नेता थे। वह हमेशा जनता का साथ देते थे। गरीब वर्ग के व्यक्ति को कई भी परेशानी होती थी तो वह कोर्ट कचेहरी की जगह अखिलेश के पास जाता था। वहां जाने के बाद उसे राहत मिल जाती थी। अखिलेश सिंह को लेकर कहा जाता है कि वह भले ही साधन संपन्न लोगों के दरवाजे पर न पहुंचते हो लेकिन हर गरीब के सुख-दुख में वह हमेशा साथ खड़े दिखाई देते थे। 

भाजपा अभी तक नहीं जीत पाई है यह सीट 
अभी तक रायबरेली सदर की सीट पर भाजपा जीत नहीं पाई है। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि सिर्फ अदिति सिंह के पार्टी में आ जाने मात्र से ही इस सीट पर भाजपा को जीत मिल जाएगी? या अगर जीत मिलती भी है तो क्या वोटों का अंतर और जीत का आंकड़ा वही होगा जो पहले रहा है? हालांकि इन सवालों को लेकर काफी हद तक जानकार यह भी कहते हैं कि रायबरेली की जनता अभी तक पार्टी नहीं परिवार के नाम पर वोट कर रही थी। अगर वही चलन बरकरार रहता है तो इस बार यह सीट भगवामय जरूर होगी। हालांकि यदि जनता अखिलेश सिंह की गैरमौजूदगी को महत्व देती है तो अदिति सिंह के लिए यह समस्या बन जाएगा। इतना ही नहीं वर्षों से चला आ रहा रिकॉर्ड तो इस बार अवश्य ही टूटेगा। 

 

ड्यूक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद यूं हुई राजनीति में अदिति सिंह की एंट्री, पति हैं विधायक

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