सार
यूएसए की ड्यूक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद राजनीति में एंट्री और भाजपा ज्वाइन कर कांग्रेस छोड़ने तक अदिति सिंह चर्चाओं में रही हैं। पिता से मिली राजनीतिक विरासत के बाद कांग्रेस के प्रति अदिति के तेवर भी कुछ उसी तरह के दिखाई देते हैं। हालांकि वोटर्स के बीच में आज भी वह खासा पसंद की जाती हैं।
लखनऊ: रायबरेली सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह ने गुरुवार 20 जनवरी 2022 को कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफा स्वीकार करने की गुजारिश की। ज्ञात हो कि इससे पहले ही वह 24 नवंबर 2021 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुकी हैं। जिसके बाद से लगातार उनके कांग्रेस से इस्तीफे को लेकर चर्चाएं हो रही थीं। जिस पर आखिरकर आज विराम लग गया।
2019 में दिखाए बागी तेवर
अदिति सिंह ने कांग्रेस को अपने बागी तेवर 2019 से दिखाए थे। संविधान दिवस के मौके पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में वह कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन कर शामिल हुई थीं। इसके बाद भी वह कई मौकों पर भाजपा के साथ दिखाई दीं। वह लगातार सीएम योगी और पीएम मोदी के कार्यों की सराहना भी करती थीं। जिसके बाद आखिरकर उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया।
यूएसए की ड्यूक यूनिवर्सिटी से की ग्रेजुएशन
अदिति सिंह ने यूएसए की ड्यूक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। उनके पिता अखिलेश सिंह ने कांग्रेस के जरिए ही बेटी की राजनीति में एंट्री करवाई। टिकट दिलवाने और भारी बहुमत से जीत दिलवाने के पीछे का श्रेय भी उनको ही जाता है।
मां ब्लॉक प्रमुख और पति कांग्रेस से हैं विधायक
अदिति सिंह की मां वैशाली सिंह अमावां ब्लॉक से ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुई है। इतना ही नहीं राही ब्लॉक और नगर पालिका भी इन्ही के करीबियों ने बागडोर संभाल रखी है। वहीं अदिति के पति अंगद सैनी भी कांग्रेस से विधायक है। अदिति के पति अंगद सिंह सैनी पंजाब के नवां शहर से कांग्रेस के विधायक हैं।
पिता ने सौंपी राजनीतिक विरासत
अदिति सिंह जिस रायबरेली सदर सीट से विधायक हैं वहां उनके पिता अखिलेश सिंह की बादशाहत कायम थी। 2017 में उन्होंने ने ही बेटी अदिति सिंह को रायबरेली विधानसभा से विधायक बनाकर अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके कुछ दिनों बाद ही अखिलेश सिंह का निधन हो गया। अदिति सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और उन्होंने मो. शाबाज खान को 89,163 वोटों से पटखनी दी।
रायबरेली सीट पर रहां कांग्रेस का कब्जा, 1993 में हुई अखिलेश सिंह की एंट्री
रायबरेली विधानसभा सीट पर 1967 से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस ने वहां से अभी तक 10 बार जीत हासिल की है। 1967 में पहली बार कांग्रेस के मदन मोहन मिश्रा यहां से विधायक बनें। 1969 में वह दोबारा विधायक चुने गएं। इसके बाद 1974 में सुनीता चौहान, 1977 में मोहन लाल त्रिपाठी, 1980 और 1985 में रमेश चंद्र कांग्रेस से विधायक बने। 1989 में यहां कांग्रेस का विजय रथ थम गया और फिर 1991 तक अशोक सिंह विधायक बने। इसके बाद राजनीति में अखिलेश सिंह की एंट्री हुई और वह जीत की गारंटी बन गए। 1993 में पहली बार अखिलेश सिंह यहां से विधायक बने।
अदिति सिंह को भी पसंद करते हैं वोटर्स
जानकार बताते है कि अखिलेश सिंह रायबरेली के कद्दावर नेताओं में से एक थे। जनता जितना सम्मान उनका करती थी उतना ही सम्मान वह उनकी बेटी अदिति सिंह का भी करती है। रायबरेली में मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है और यह ही अखिलेश सिंह का वोट बैंक है। अदिति के भाजपा में आने के बाद यह कहा जा रहा है कि यह वोट बैंक उनके(अदिति सिंह) चेहरे पर वोट करेगा।