यूपी के एक प्राथमिक स्कूल में मिड डे मील में बच्चों को पानी वाला दूध पिलाने का वीडियो वायरल होने के बाद अब योगी सरकार भी हरकत में आ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामंत्री सतीश द्विवेदी को तलब किया। साथ ही इस लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
लखनऊ (Uttar Pradesh). यूपी के एक प्राथमिक स्कूल में मिड डे मील में बच्चों को पानी वाला दूध पिलाने का वीडियो वायरल होने के बाद अब योगी सरकार भी हरकत में आ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामंत्री सतीश द्विवेदी को तलब किया। साथ ही इस लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। वहीं, स्कूल के टीचर (शिक्षामित्र) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। प्रभारी अध्यापक को सस्पेंड भी कर दिया गया। डीएम ने खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
प्रदेशभर से मांगी गई रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी ने अधिकारियों से प्रदेशभर से मध्यान भोजन पर रिपोर्ट तलब की है। ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियों को राका जा सके।
क्या है मिलावटी दूध का मामला
सोनभद्र के चोपन ब्लाक के सलईबनवा प्राथमिक स्कूल का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में रयोईया मिड डे मील में बच्चों को दिए जाने वाले एक दूध में एक बाल्टी पानी मिलाते दिख रही है। इस विद्यालय में 171 बच्चों का पंजीकरण है। बुधवार को यहां 81 बच्चे स्कूल पहुंचे थे। इन बच्चों के लिए केवल एक लीटर दूध का पैकेट भेजा गया, जो नाकाफी था। इसलिए एक बाल्टी पानी को बड़े भगोने में उबाला गया, फिर उसमें एक लीटर दूध घोल दिया गया। यही नहीं, बच्चों को एक-एक गिलास मिलावटी दूध पीने के लिए बांट दिया गया। मिड-डे-मील के मीन्यू के मुताबिक, बुधवार को तहरी और दूध वितरित किया जाना था। दूध की मात्रा 150-200 एमएल निर्धारित है।
बच्चों को दोबारा बांटा गया ताजा दूध
खंड शिक्षा अधिकारी मुकेश राय ने कहा- एक लीटर दूध को एक बाल्टी पानी में मिलाकर पिलाने की जानकारी मिली है। प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने पर शिक्षामित्र कबीर यादव को कार्यमुक्त कर दिया गया है। बाद में भूल सुधार करते हुए बच्चों को दोबारा भी दूध बांटा गया।
अखिलेश ने मामले पर योगी सरकार को घेरा
मिड डे मील में मिलावटी दूध के मामले ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इसको लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने टि्वट के जरिए कहा, दिखावटी भाजपा सरकार, मिलवाटी पोषण आहार। आज आजादी के इतने सालों के बाद भी जब ये खबर पढ़ने को मिलती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 63% गर्भवती महिलाएं प्रसूति के दिन तक कार्यरत रहती हैं तो हमें अपनी स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाने का मन करता है।