गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करने के बाद सपा के सामने पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले को बुलंद रखना एक बड़ी चुनौती है। विधानसभा चुनावों में लगातार मिल रही शिकस्त के बाद सपा को नई रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता है।
अभिनव सिन्हा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करने के बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सपा को अब मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करना और पार्टी कार्यकर्ताओं को हौसलामंद बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी। बता दें कि मैनपुरी समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत किला माना जाता है। समाजवादी पार्टी विधानसभा उपचुनाव में लगातार हार का सामना कर रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विधानसभा में धमाकेदार उपस्थिति बरकरार रखने के लिए आजमगढ़ से इस्तीफा दे दिया था।
इन सीटों पर भी पड़ सकता है असर
वहीं हेट स्पीच मामले में सजा होने के बाद आजम खान की भी विधायकी चली गई है। ऐसे में ये दोनों सीटें सपा के हाथ से निकल गई हैं। वहीं पर गोला विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का पहले से कब्जा था। ऐसे में यहां से सपा के हारने का असर मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव पर भी पड़ सकता है। सपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में छल हुआ है। सपा को यहां से 90 हजार से अधिक वोट मिले हैं। लेकिन लगातार मिल रही हार से पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला टूटना स्वाभाविक है।
मुलायम के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी में जुटी भाजपा
ऐसे में गोला सीट पर मिली जीत के बाद भाजपा मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हालांकि मैनपुरी सीट हो या रामपुर विधानसभा सीट दोनों ही सीटों पर सपा लोगों की सहानभूति को कैश कराना चाहती है। मुलायम सिंह य़ादव का मैनपुरी से अलग जुड़ाव था। ऐसे में यहां पर सपा को सहानुभूति वोट मिलने की ज्यादा संभावना है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग लोगों से मुलाकात करने और तैयारियों में जुटने का आह्वान किया है। हालांकि मैनपुरी सीट पर अभी तक प्रत्याशी के नाम पर मुहर नहीं लगी है। लेकिन परिवार के ज्यादातर लोग तेज प्रताप यादव के नाम पर सहमति जता रहे हैं।
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