
राजीव शर्मा
बरेली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Election) में इस बार ऐसा हुआ है, जब बरेली मंडल के चार जिलों में से तीन में दूसरे चरण में और चौथे जिले पीलीभीत में चौथे चरण में मतदान होना है। चूंकि दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को हो चुका है। इसमें बरेली मंडल के बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर में वोट डाले गए थे। मतदान तक इन तीनों जिलों में सभी दलों के मंडल के सारे नेता जुटे हुए थे। इनमें मतदान होने के बाद अब ये नेता खाली हुए हैं तो अपनी-अपनी पार्टी हाईकमान के निर्देश पर उन्होंने मंडल के अपने चौथे जिले पीलीभीत में चुनावी समीकरण बनाने के लिए दौड़ लगा दी है। नतीजतन, पीलीभीत के विधानसभा चुनाव पर सबकी नजरें लग गई हैं। यहां 23 फरवरी को मतदान होना है।
पीलीभीत में होना है चार सीटों पर चुनाव
बरेली मंडल में चारों जिलों में विधानसभा की 25 सीटें हैं। बरेली में नौ, बदायूं और शाहजहांपुर में छह-छह सीटें हैं। पीलीभीत ही ऐसा है, जहां सबसे कम चार सीटें हैं। ऐसे में, मंडल के सारे नेताओं का फोकस पीलीभीत पर होने से इस जिले में सभी दलों के नेताओं का जमावड़ा हो गया है। बरेली मंडल में भाजपा के कई बड़े नेता हैं। इनमें बरेली के सांसद संतोष गंगवार, पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी, शाहजहांपुर से दो कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद और सुरेश खन्ना, बदायूं से केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, पूर्व सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह तथा पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल समेत भाजपा के मंडल के सभी नेता पीलीभीत पर फोकस कर रहे हैं। इसी तरह सपा ने भी मंडल के अपने सभी प्रमुख नेताओं को पीलीभीत में भेजा है। बसपा और कांग्रेस के नेता भी पीलीभीत में नजरें जमाए हुए हैं।
भाजपा के पास हैं चारों सीटें, मंडल की 25 में से 23 सीटें भी
पीलीभीत जिले में पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने चारों सीटें जीती थीं। इस तरह बरेली मंडल की 25 में से 23 सीटों पर भाजपा ही काबिल है और शाहजहांपुर की जलालाबाद तथा बदायूं की सहसवान सीटें सपा के पास हैं लेकिन इस बार भाजपा को मंडल की 23 सीटों पर फिर से जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। उसे सपा की ओर से कड़ी चुनौती है।
तराई इलाका है पीलीभीत, किसान बाहुल्य भी
उत्तराखंड की सीमा से लगा और लखीमपुर खीरी से सटा पीलीभीत जनपद उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों में आता है। यह किसान बाहुल्य है और यहां सिख मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। ये हर चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं इसलिए सारे राजनीतिक दलों की नजरें इन पर लगी हुई हैं। तीन बिलों को लेकर भाजपा के प्रति इनकी नाराजगी उभारने की कोशिश इस चुनाव में सभी विपक्षी दल तो कर ही रहे हैं, हाल ही में पीलीभीत में भाकियू नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे थे। उन्होंने भी सरकार के खिलाफ किसानों से अपील की। जबकि भाजपा किसानों को पेंशन योजना और खेती प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी आदि योजनाओं के बल पर किसानों के बीच जा रही है।
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