
आगरा: ताजमहल के 22 बंद कमरों की जांच को लेकर उच्च न्यायालय में दायर याचिका इन दिनों खासा चर्चाओं में हैं। इतिहासकारों के बीच भी इसको लेकर विमर्श जारी है। इतिहासकार व साकेत महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. महेंद्र पाठक की ओर से सवाल उठाए गए हैं कि आखिर ताजमहल के 22 कमरों में ऐसा क्या छुपा है जिसको कई वर्षों से छिपाया जा रहा है। फिर यदि मुगलकार इतना ही समृद्ध था तो ईरान या फिर इराक में कोई ताजमहल या कुतुबमीनार क्यों नहीं है।
इतिहासकार जांच के पक्ष में
उनका कहना है कि ताजमहल वास्तव में भोलेनाथ का मंदिर है। इसे तेजोमहालय के नाम से ही जाना जाता था। इस पर मुगल आक्रांता ने कब्जा कर इसे मकबरा बनवा दिया। मुगलों ने भारत में सांस्कृतिक आक्रमण किया और अनेकों मंदिरों को तोड़ा। इस बीच उन्होंने इतिहासकार पीएन ओक की पुस्तक का भी जिक्र किया। कहा गया कि उसमें जो तथ्य दिए गए हैं सिर्फ उन्हीं की जांच मात्र से स्पष्ट हो जाएगा कि ताजमहल वास्तव में शंकर जी का मंदिर था या नहीं। वहीं कई अन्य इतिहासकार भी इस बात के पक्ष में हैं कि आखिर जांच में हर्ज ही क्या है। अगर किसी बात को लेकर कई लोगों के जहन में शंका है तो उसकी जांच हो जाने से क्या दिक्कत है। जांच में सच खुद ब खुद निकलकर सभी के सामने आ जाएगा।
मुगलों से पहले भी हुआ संगमरमर का इस्तेमाल
इतिहासकार इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हैं कि बार-बार कहा जाता है कि मुगलों ने ही संगमरमर का प्रयोग प्रारंभ किया था। हालांकि हजारों साल पहले पुराने माउंटआबू स्थित दिलवाड़ा के जैन मंदिर में भी संगमरमर का उपयोग किया गया था। मुगलों के द्वारा अनेकों ऐसे मंदिरों को तोड़ा गया और उन पर कब्जा किया गया। इसी में आगरा का तेजोमहालय भी है। लिहाजा इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, कहा- अगर मंत्री ने न किया होता ये काम तो शायद न होता लखीमपुर खीरी कांड
उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।