उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में सरकारी राशन की दुकान पर मिलने वाले गेहूं और चावल को नमकीन फैक्ट्रियों में खपाने का मामला सामने आया है। मुनाफे के लालच में यह पूरा खेल जिम्मेदारों की नाक के नीचे चल रहा है।
आगरा: केंद्र और राज्य सरकार गरीब को अनाज वितरण में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। हालांकि आगरा से सामने आए एक मामले ने सभी की आंखे खोलकर रख दी है। यहां सरकारी गेहूं और चावल का इस्तेमाल गरीब के चूल्हे में न होकर नमकीन बनाने वाली फैक्ट्रियों में हो रहा है। सरकारी राशन की दुकान से लेकर फैक्ट्री तक पूरी एक चेन बनी हुई है। इस चेन के जरिए ही मुनाफे के लालच में गेहूं और चावल को यहां तक पहुंचाया जा रहा है।
आरोपित पर पहले भी दर्ज हो चुका है मुकदमा
ज्ञात हो कि 28 अप्रैल को जगदीशपुरा के बिचपुरी इलाके में पुलिस और आपूर्ति विभाग की टीम ने एक गोदाम में छापेमारी की थी। यहां से टीम को 350 बोरी चावल और 150 बोरी गेहूं बरामद हुआ था। मामले में गोदाम मालिक मलपुरा निवासी हेमेंद्र उर्फ गोपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस के अनुसार आरोपित पर पहले ही मलपुरा थाने में 3 मुकदमे दर्ज हैं। यह तीनों मुकदमें सरकारी राशन की खरीद फरोख्त से ही जुड़े हैं।
मोटे मुनाफे के लालच में चल रहा पूरा खेल
मामले को लेकर इंस्पेक्टर जगदीशपुरा प्रवींद्र कुमार सिंह ने जानकरी दी कि पुलिस आरोपित से पूछताछ कर रही है। राशन को खरीदने के बाद इसे कहां-कहां बेचा जाता है इसको लेकर भी छानबीन जारी है। आरोप है कि गोदाम मालिक मोटे मुनाफे के लिए राशन को नमकीन बनाने वालों को बेच देता था। वहीं चावन को आटा चक्की वाले भी खरीदते हैं जिसे पीसकर गेहूं में मिलाया जाता है। ऐसे करने से रोटी और भी सफेद होती है। फिलहाल दलालों के बारे में और भी जानकारी जुटाई जा रही है।
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