गाय भारत की संस्कृति, संसद में एक विधेयक लगाकर इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Published : Sep 02, 2021, 11:03 AM ISTUpdated : Sep 02, 2021, 11:08 AM IST
गाय भारत की संस्कृति, संसद में एक विधेयक लगाकर इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

सार

हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, गाय को मौलिक अधिकार देने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। 

प्रयागराज. गाय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ( allahabad high court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाना चाहिए और इसकी सुरक्षा को हिंदुओं के मूलभूत अधिकारों में शामिल किया जाना चहिए। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ हिन्दू ही गाय के महत्व को नहीं समझते हैं, बल्कि मुस्लिम शासनकाल में भी गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया था।

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हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, गाय को मौलिक अधिकार देने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। गौरक्षा का कार्य केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का है।

क्या है मामला
दरअसल, कोर्ट जावेद नाम के शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जावेद पर गोहत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत आरोप हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गोरक्षा सिर्फ किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है।  कोर्ट ने कहा- गाय, भारत की उस संस्कृति के प्रतीक है, जिसके लिए भारत जाना जाता है। जब एक देश की संस्कृति और विश्वास को ठेस पहुंचती है तो देश कमजोर होता है।

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याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा-  भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर विभिन्न धर्म के लोग साथ रहते हैं, जहां पर हर कोई अलग पूजा करता है लेकिन फिर भी सभी की देश के प्रति एक सोच दिखती है लेकिन कुछ लोग ऐसे अपराध कर देश को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। उनके विचार देश हित में नहीं होते हैं इसलिए आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है।

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