Inside Story: कानपुर की तीन विधानसभा सीटों पर फंसा पेच ,आखिर क्यों बीजेपी ने नहीं उतारा यहां प्रत्याशी?

प्रियंका गांधी के करीबी और पूर्व सांसद इस बात का खंडन कर चुके हैं कि मैं कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहा हूं। लेकिन सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस नेता पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। बीजेपी सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) के लिए घाटमपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार तो हो गई है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2022 9:56 AM IST

सुमित शर्मा
कानपुर:
यूपी विधानसभा चुनाव (UP vidhansabha Chunav) के तीसरे चरण के लिए बीजेपी (BJP) ने कानपुर समेत देहात की तीन सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारा है। कानपुर देहात की भोगनीपुर, रसूलाबाद और कानपुर की घाटमपुर सीट पर पेच फंस गया है। स्थानीय और गठबंधन के नेता भी नहीं समझ पा रहे है कि बीजेपी ने सीट क्यों छोड़ी है। घाटमपुर और भोगनीपुर में से एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) प्रत्याशी उतार सकती है। वहीं इस बात की भी चर्चा चल रही है कि प्रियंका गांधी के करीबी और फतेहपुर के पूर्व सांसद अपनी पत्नी के लिए भोगनीपुर से टिकट मांग रहे हैं। इस लिए बीजेपी ने प्रत्याशी नहीं उतारा है।

प्रियंका गांधी के करीबी और पूर्व सांसद इस बात का खंडन कर चुके हैं कि मैं कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहा हूं। लेकिन सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस नेता पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। बीजेपी सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) के लिए घाटमपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार तो हो गई है। मगर अपना दल (एस) अपने किसी पार्टी के नेता को टिकट देने की बात पर अड़ी है। जबकि बीजेपी चाहती है घाटमपुर सीट से वर्तमान विधायक उपेंद्र पासवान ही चुनाव लड़ें।

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रसूलाबाद की सीट पर भी फंसा पेच
रसूलाबाद विधानसभा सुरक्षित सीट है। बीजेपी ने इस सीट पर भी प्रत्याशी नहीं उतारा है। सियासी गलियारों में हलचल है कि रसूलाबाद सीट पर मुलायम सिंह के करीबी और एसपी सरकार में मंत्री रहे शिवकुमार बेरिया के लिए सीट छोड़ी गई है। शिवकुमार बेरिया प्रसपा का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले हैं। चाचा-भतीजे के बीच विवाद होने के बाद शिव कुमार बेरिया ने सपा छोड़कर प्रसपा का दामन थाम लिया था।

यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में रसूलाबाद सीट पर बीजेपी की निर्मला शंखवार और एसपी की अरूणा कोरी के बीच लड़ाई थी। बीजेपी की निर्मला शंखवार ने अरूणा कोरी को हरा कर शानदार जीत दर्ज की थी। शिव कुमार बेरिया की गिनती एसपी के कद्दावर नेताओं में होती थी। बेरिया चार के विधायक रह चुके हैं। शिव कुमार बेरिया 2012 के विधानसभा चुनाव में रसूलाबाद से जीत दर्ज की थी।

भोगनीपुर सीट पर भी फंसा पेच
कानपुर और कानपुर-बुंदेलखंड में चर्चा चल रही है कि पूर्व सांसद राकेश सचान अपनी पत्नी के लिए कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से टिकट मांग रहे हैं। सूत्रों की माने तो यदि बीजेपी से टिकट फाइनल हो जाती है, तो पूर्व सांसद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लेंगे। कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट से 2017 में विनोद कटियार विधायक बने थे। दरअसल भोगनीपुर सीट कटियार बाहुल क्षेत्र है, और बीजेपी का गढ़ माना जाता है।

घाटमपुर विधानसभा सीट
कानपुर-बुंदेलखंड में इस बात की चर्चा चल रही है कि घाटमपुर विधानसभा सीट पर अपना दल (एस) प्रत्याशी उतारेगी। इस लिए बीजेपी ने इस सीट पर प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है। जबकि घाटमपुर सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के उपेंद्र पासवान ने शानदार जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव 2017 में घाटमपुर सीट से कमलरानी वरूण जीती थीं। कमलरानी वरूण को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। लेकिन कोरोना काल में उनका निधन हो गया था। इसके बाद इस सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ था। जिसमें उपेंद्र पासवान ने कमल खिलाया था। अब इस सीट पर अपना दल (एस) की नजर है।

रसूलाबाद सीट पर जातिगत आकड़ा
कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी की निर्मला शंखवार विधायक हैं। इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या 01.10 लाख है। लोधी वोटरों की संख्या 60 हजार है। ब्राह्मण वोटर 37 हजार, क्षत्रीय और यादव वोटर लगभग 25-25 हैं। पाल 20 हजार, मुस्लिम वोटर 22 हैं।

भोगनीपुर सीट पर जातिगत आकड़े
भोगनीपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के विनोद कटियार विधायक हैं। इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या लगभगर 01.04 लाख के करीब हैं। यादव वोटरों की संख्या 57 हजार है, मुस्लिम वोटर 37 हजार, क्षत्रीय वोटर 22 हजार, कुर्मी वोटर 25 हजार के करीब हैं।

घाटमपुर सीट के जातिगत आकड़े
घाटमपुर सीट से बीजेपी के उपेंद्र पासवान विधायक हैं। इस सीट पर जाटव वोटरों की संख्या 55 हजार है। कुर्मी वोटरों की संख्या 35 हजार, ब्राह्मण वोटरों 27 हजार, कुशवाहा 26 हजार, यादव वोटर लगभग 20 हजार, पाल वोटर 18 हजार, मुस्लिम वोटर 17 हजार के करीब हैं। 
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