सार

इटावा लोकसभा के क्षेत्र में औरैया जनपद और कानपुर देहात भी जोड़ा गया है। इटावा में तीन विधानसभा सीट हैं। जिसपर इटावा सदर सीट पर बीजेपी की विधायक सरिता भदौरिया काबिज हैं। और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन्ही की प्रत्याशी भी बनाया है। 

निमिषा बाजपेई
लखनऊ: 
विधानसभा चुनाव (Viodhansabha Chunav 2022) अपने मुहाने पर हैं सभा दल अपने बड़े बड़े चेहरों को धीरे-धीरे खोल रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल कही जाने वाली सपा ने जहां जसवंत नगर से शिवपाल को मैदान में उतारा है। वहीं ने अभी तक भाजपा ने जसवंत नगर और भरथना सीट पर अपना पत्ता नहीं खोला है। जिले की तीन विधानसभा सीटों पर तीसरे चरण में मतदान होने हैं जिनके लिए जल्द ही नामांकन शुरू  हो जाएंगे। इन विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने सिर्फ एक ही सीट पर अभी तक उम्मीदवार घोषित किया है ।सपा ने जसवंत नगर सीट पर शिवपाल का नाम पक्का किया है वहीं कांग्रेस और बसपा ने अभी तक एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। बीजेपी ने इटावा सीट पर अपने पुराने चेहरे पर फिर भरोसा जताया है। लेकिन भरथना और जसवंतनगर को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार रखा है। वहीं इटावा सीट पर सपा किसको प्रत्याशी बनाएगी ये देखने वाला होगा क्योंकि इटावा जिला सपा के जीवनदाता मुलायम सिंह यादव के नाम से जाना जाता है। तो ये सीट सपा के लिए उसकी आन है।

इटावा सदर सीट
अगर राजनीति की बात करें तो यूपी  के लिए इटावा बहुत महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि इटावा लोकसभा के क्षेत्र में औरैया जनपद और कानपुर देहात भी जोड़ा गया है। इटावा में तीन विधानसभा सीट हैं। जिसपर इटावा सदर सीट पर बीजेपी की विधायक सरिता भदौरिया काबिज हैं। और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन्ही की प्रत्याशी भी बनाया है। 

भरथना विधानसभा सीट 
भरथना सीट पर भी वर्तमान में बीजेपी ही काबिज है सावित्री कठेरिया यहां की मौजूदा विधायक हैं। लेकिन जनता इनसे खास प्रभावित नहीं है। इस सीट पर दलित और पिछड़ा  वोट बैंक सबसे ज्यादा है जिस वजह से सपा ने यहां मजबूत पकड़ बना ली है। राजनीति में अनुभवहीन विधायक सावित्री कठेरिया के होने से भरथना विधानसभा क्षेत्र में कोई विशेष कार्य नहीं हुआ है। क्षेत्रफल में चकरनगर भी जोड़ने की वजह से भी  वहां पर भी लोग नाराज हैं, इसलिए इस बार समाजवादी पार्टी की सीट जीतने की संभावना है


जसवंतनगर विधानसभा
जसवंतनगर सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी के पुराने नेता शिवपाल सिंह रहे थे और वह तीन बार के विधायक रहे हैं और इस बार भी उनकी सीट जीत की पक्की मानी जा रही है. जसवंतनगर विधानसभा में पिछले 15 वर्षों से लगातार बड़ी संख्या में जीत हासिल करने वाले शिवपाल सिंह इस बार अखिलेश के साथ यदि गठबंधन से लड़ते हैं, तो फिर बड़ी जीत होने की संभावना है. हालांकि, जनपद की तीनों विधानसभाओं में सदर की विधानसभा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि समाजवादी पार्टी की सदस्यता हासिल करने वाले इंजीनियर हरि किशोर तिवारी को यदि टिकट मिलता है, तो उनको पार्टी कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है

आपको बता दें कि अखिलेश यादव ने पिछले साल दिसंबर में चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया था।  अखिलेश खुद चाचा से मिलने उनके घर गए थे, जहां दोनों की बातचीत के बाद इस गठबंधन का ऐलान किया गया था अखिलेश इस चुनाव के लिए अलग अलग जातियों में असर रखने वाली छोटी बड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रहे हैं।  अब तक वे राष्‍ट्रीय लोकदल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, जनवादी पार्टी (सोशलिस्‍ट), अपना दल (Kamerawadi) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है। वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को मंत्रिमंडल से हटा दिया था जिसके बाद कलह बढ़ गई थी।  मतभेद के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से अलग होकर वर्ष 2018 में नई पार्टी बना ली थी।