यूपी की रामनगरी अयोध्या में दीपोत्सव के बाद 41वां रामायण मेला को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी की जा रही है। 41वां रामायण मेला 27 से 30 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसके पोस्टर का लोकार्पण सीएम योगी ने कर दिया है।
अयोध्या: उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या में दीपोत्सव की तरह भव्य तरह से रामायण मेले को मनाने की तैयारी की जा रही है। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परंपरागत तरीके से आयोजित होने वाले 41वें रामायण मेले के पोस्टर का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने मेले का कार्यक्रम भी जारी किया है। दरअसल हर साल रामायण मेले का आयोजन किया जाता है लेकिन पिछले दो सालों में कोरोना की वजह से प्रतिबंधों के साथ आयोजन किया गया था लेकिन इस बार मेले का आयोजन भव्य तरीके से किया जाएगा।
27 से 30 नवंबर से होगा रामायण मेले का आयोजन
रामायण मेला करीब दो साल बाद काफी धूमधाम से आयोजित कराने की तैयारी की जा रही है। मेले का आयोजन 27 से 30 नवंबर तक होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहकर मेले का उद्घाटन करेंगे। रामायण मेला समिति के पदाधिकारियों में किए गए परिवर्तन के साथ नए सिरे से रामायण मेला के बेहतरीन आयोजन की पहल शुरू की गई है। सीएम आवास पर सम्पन्न इस कार्यक्रम में रामायण मेला समिति के सदस्य भी मौजूद थे। 41वें रामायण मेला में इस साल देश के प्रमुख स्थानों से विद्वान संतों को आमंत्रित किया गया है, जो राम कथा के विविध पहलुओं पर स्तरीय प्रवचन करेंगे। अयोध्या में दीपोत्सव, अनवरत रामलीला, फिल्मी कलाकारों की रामलीला व अन्य कार्यक्रमों के साथ राम विवाह के अवसर पर सालों से आयोजित हो रहा रामायण मेला भी आकर्षक का केंद्र बने, इसको लेकर काफी तैयारियां कर ली गई है।
रामायण मेले में होने वाले द्वितीय दिवस में होंगे कार्यक्रम
रामनगरी अयोध्या में चार दिवसीय 41वां रामायण मेला 27 से शुरू हो कर 30 नवंबर तक चलेगा। वहीं रामायण मेला समिति के संयोजक आशीष कुमार मिश्र का कहना है कि जिस पोस्टर का लोकार्पण किया है। उसमें रामायण मेला में होने वाले द्वितीय दिवस के कार्यक्रम के क्रम में राम बारात आगमन, पांव पूजन की रस्म, चारों भाइयों का अग्नि का फेरा और सभी वर वधु का ऋषियों से आशीर्वाद प्राप्त करने की लीला को दर्शाया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इस छवि को उकेरने का काम वैष्णवी गुप्ता एवं प्रिया गुप्ता ने किया। आगे कहते है कि आवरण छवि में भारतीय लोक कला पर आधारित अवध की लोककला को प्रदर्शित किया गया है।
साल 1982 में मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने किया था शुरू
बता दें कि रामायण मेला की शुरुआत साल 1982 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने की थी। पहले रामायण मेला में लगातार चार दिन मंत्रियों ने अलग-अलग विकास योजनाओं का ऐलान किया, जो समय की विकास योजनाओं में प्रमुख हैं। साल 1980 के दशक में रामायण मेला का आकर्षण चरम पर रहा है। मेले में श्रीलंका, कोरिया और मलेशिया सहित कई देशों की रामलीला का मंचन किया जा चुका है। रामायण मेला में ही परिक्रमा मार्ग को पक्का करवाने के साथ-साथ सरयू तट का नया घाट से लेकर गुप्तारघाट तक विस्तार व सांस्कृतिक विकास के लिए राम कथा पार्क के निर्माण की घोषणा कर उन पर काम शुरू किया गया था।