2024 की मकर संक्रांति तक गर्भगृह में स्थापित होंगे रामलला, भूतल के 80 प्रतिशत पत्थर तैयार होकर पहुंचे मंदिर

रामलला का भव्य मंदिर के निर्माण तेज गति के साथ हो रहा है। साल 2024 की मकर संक्रांति तक रामलला गर्भगृह में स्थापित हो जाएंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि भूतल के 80 प्रतिशत पत्थर तैयार होकर राजस्थान से रामनगरी में पहुंच चुके है।

अयोध्या: उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का काम गति पकड़ चुका है। इस वजह से श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की भवन निर्माण समिति भी लगातार मंदिर की प्रगति जानने के लिए बैठक करती रहती है। इस बार रामलला के जन्मोत्सव के अवसर पर गर्भगृह में मुख मंडल तक सूर्य की रश्मियां पहुंचाने की भी तैयारी पूरी हो गई है। काम की गति को देखकर ऐसा लग रहा है कि मंकर संक्रांति पर साल 2024 पर रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा।

दो दिन से रामजन्मभूमि को लेकर चल रही थी बैठक
भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने लगातार दूसरे दिन सर्किट हाउस के साथ ही रामजन्मभूमि क्षेत्र में ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय व निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के साथ बैठक की और कार्य प्रगति के बारे में जानकारी ली। मंदिर के भूतल में लगने वाले 80 प्रतिशत पत्थर तैयार हैं। आकार-प्रकार के अनुरूप गढ़े जाने के बाद उन्हें राजस्थान से जन्मभूमि के परिसर तक लाया गया है। साल 2023 के अंत तक यह परस्पर संयोजित हो मंदिर के भूतल के रूप में आकार ग्रहण कर लेंगे। वहीं दूसरी ओर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना गर्भगृह सहित मंदिर के संपूर्ण भूतल का निर्माण अगले साल के अंत तक पूरा करना है। साल 2024 की मकर संक्रांति के मौके पर रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाना है। 

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रामलला के मुख मंडल पर सूर्य की रश्मियां पड़ने की जा रही है अपेक्षा
दो दिवसीय बैठक राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक शुक्रवार से शुरू हुई है। दोनों दिन में मंदिर निर्माण की प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के सदस्य मंदिर निर्माण में लगे विशेषज्ञों के साथ यह सुनिश्चित करने में सफल होने को हैं कि रामलला के मुख मंडल पर उनके जन्मोत्सव की बेला में सूर्य की किरणें पड़ें। दूसरी ओर इस बैठक में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ भी बैठक में उपस्थित रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस भावना को साकार करने का विश्वास व्यक्त किया है। उसमें राम जन्मोत्सव के अवसर पर गर्भगृह में विराजे रामलला के मुख मंडल पर सूर्य की रश्मियां पड़ने की अपेक्षा की जा रही है।

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