हेट स्पीच केस: गई आजम खां की विधायकी, अब दिलचस्प होगा रामपुर का उपचुनाव, जानिए किस पर दांव लगा सकती है सपा

हेट स्पीच मामले में सजा के ऐलान के बाद आजम खां की विधायक को रद्द करने का फैसला लिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 29, 2022 3:49 AM IST / Updated: Oct 29 2022, 09:48 AM IST

लखनऊ: हेट स्पीच मामले में आजम खां को एक और बड़ा झटका लगा है। तीन साल की सजा के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता को भी रद्द कर दिया गया है। शिकायतकर्ता आकाश सक्सेना की शिकायत का संज्ञान लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह कार्रवाई की है। 

विधानसभा सीट रामपुर को रिक्त घोषित किया गया
गौरतलब है कि आकाश सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष के अलावा केंद्रीय चुनाव आयोग को भी सदस्यता रद्द करने की शिकायत भेजी थी। कोर्ट के आदेश के बाद में आजम खां की सदस्यता शुक्रवार को निरस्त कर दी गई। इसी के साथ उत्तर प्रदेश सचिवालय ने उनकी विधानसभा सीट रामपुर को रिक्त घोषित कर दिया। सचिवालय की ओर से यह जानकारी चुनाव आयोग को भी भेज दी गई। इसे महज संयोग है कहा जा रहा है कि पिछली विधानसभा के कार्यकाल में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता खत्म की गई थी और इस बार उनकी सदस्यता को खत्म कर दिया गया।

दिलचस्प होगा रामपुर का उपचुनाव
ज्ञात हो कि रामपुर सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यह सीट आजम खां का पुराना गढ़ मानी जाती है। अब इस सीट पर होने वाला चुनाव उपचुनाव काफी ज्यादा दिलचस्प होगा। सवाल है कि आजम के परिवार से इस सीट पर किसी को सपा प्रत्याशी बनाएगी या उनके परिवार के बाहर से किसी को टिकट मिलेगा। मौजूदा समय में आजम खां का बेटा अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक है। ऐसे में माना जा रहा है कि उपचुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी आजम खां की पत्नी और पूर्व सांसद तंजीन फातिमा को टिकट दे सकती है। वह पहले भी यहां से विधायक रह चुकी हैं।

आजम खां पर दर्ज हुए थे कई केस
आजम खां के खिलाफ तीन धाराओं में केस दर्ज हुआ था। तीनों ही मामलों में उन्हें दोषी माना गया। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खां पर कई मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हुए थे। इसमें से एक मामला मिलक कोतवाली में भी दर्ज हुआ था। आरोप था का उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों औऱ तत्कालीन जिलाधिकारी के लिए अपशब्द कहे थे। इसी के साथ धमकी देते हुए दंगा भड़काने का प्रयास भी किया था। 

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