Inside Story: आजम खान की रिहाई के बाद बढ़ी अखिलेश यादव की मुश्किलें, जानिए शिवपाल से नजदीकी का क्या पड़ेगा असर

सीतापुर जेल में बंद आजम खान शुक्रवार को जेल से रिहा हो गए। आजम खान की रिहाई के दौरान शिवपाल यादव की मौजूदगी भी वहां पर रही। इस बीच अखिलेश यादव या सपा का कोई अन्य नेता वहां मौजूद नहीं रहा। 

Gaurav Shukla | Published : May 20, 2022 8:55 AM IST / Updated: May 20 2022, 02:31 PM IST

रामपुर: यूपी की राजनीति में प्रमुख चेहरे आजम खान तकरीबन 27 माह बाद जमानत पर जेल से रिहा हो गए हैं। रिहाई के दौरान जो तस्वीरें सामने आई वह कई सियासी संदेश दे गई। आजम खान की रिहाई के बाद उन्हें जेल से लेने के लिए चाचा शिवपाल भी पहुंचे हुए थे। हालांकि इस बीच अखिलेश यादव या किसी बड़े सपा नेता की गैरमौजूदगी कई सवाल खड़े कर गई। भले ही आजम की रिहाई पर कोई भी बड़ा सपा नेता वहां न पहुंचा हो लेकिन अखिलेश यादव का ट्वीट जरूर सामने आया। अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा कि आजम खान के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत। जमानत के इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय के नए मानक दिए हैं। पूरा ऐतबार है कि वो अन्य झूठे मामलों में भी बाइज्जत बरी होंगे। झूठ के लम्हे होते हैं सदियां नहीं। 

 

कई मायनों में संकेत दे गई आजम की रिहाई की तस्वीर 
चाचा शिवपाल यादव की भतीजे और सपा अध्यक्ष अखिलेश से नाराजगी जग जाहिर है। बीते दिनों सीतापुर जेल में बंद आजम खान के भी सपा से खफा होने की बातें सामने आई। इसके बाद माना जा रहा है कि चाचा शिवपाल यादव और आजम खान एक साथ आकर अखिलेश के लिए आने वाले दिनों में और भी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। जिस तरह से शिवपाल यादव ने जेल में जाकर आजम से मुलाकात की और उसके बाद रिहाई के दौरान भी उनके साथ ही रहें, उससे कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भी आजम खान अहम फैसलों में शिवपाल यादव के ही साथ खड़े नजर आएंगे।

'शिवपाल और आजम की नई धारा अखिलेश को पड़ेगी भारी'
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ने एशियानेट न्यूज हिंदी से बातचीत में बताया कि शिवपाल और आजम खान के रिश्ते पहले ही बेहतर रहे हैं। जबकि शिवपाल और अखिलेश के रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे। विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद अखिलेश यादव का जो रवैया पार्टी के मुस्लिम के प्रति और उपेक्षित व्यवहार आजम खान के प्रति रहा है वह सपा की अंदरूनी राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं। आजम अखिलेश से नाराज हैं और रहेंगे भी। कई मुस्लिम नेता अखिलेश को कोस रहे हैं कि मुस्लिमों ने उन्होंने झूमकर वोट दिया लेकिन उनके अखिलेश उनको तवज्जों नहीं कर रहे हैं। ऐसे में आजम की नाराजगी 2024 के चुनाव में अखिलेश को भारी पड़ सकती है। शिवपाल का सीतापुर जेल जाना और रिहाई के समय वहां मौजूद रहना यह संकेत देता है कि इन लोगों का (शिवपाल और आजम) का कोई लगाव अखिलेश के प्रति नहीं रह गया और अब यह लोग कोई नई धारा पकड़ेंगे जो अखिलेश को भारी पड़ेगी। 

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