
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर 12 साल की नन्ही दिव्यांग तैराक जिया राय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा जिया को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिया के पिता मदन राय और उसकी मां रत्ना राय से वर्चुअल संवाद भी करेंगे। आजमगढ़ जैसे इस बात की खबर लगी पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई, खुशी इस बात की आजमगढ़ की किसी नन्ही प्रतिभा को प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। जिया के गांव वाले इस पुरस्कार के लिए चयनित होने पर अपने गांव की एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं।
आजमगढ़ जिले के जीयनपुर कटाई अलीमुद्दीन पुर गांव की रहने मदन राय का पूरा परिवार मुंबई रहता है। जी अभी अपने मां-बाप के साथ ही रहती है। घरवाले बताते हैं कि जिया बचपन से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित है। राष्ट्रीय तैराकी में 3 सालों से लगातार फर्स्ट आने वाली जिया भारत की पहली महिला दिव्यांग तैराक है। जिया का पहला विश्व रिकॉर्ड 14 फरवरी 2020 को महाराष्ट्र के एलिफेंटा से गेटवे ऑफ इंडिया तक 14 किलोमीटर की दूरी 3 घंटा 27 मिनट में तैर कर बनाया गया। वही जिया ने दूसरा विश्व रिकॉर्ड अरनाला का किला से बसई के किले के बीच अरब सागर में 22 किलोमीटर की दूरी 7 घंटे 4 मिनट में पूरी करके बनाई गई। तीसरा विश्व रिकॉर्ड जिया द्वारा मुंबई में वर्ली सी लिंक से गेटवे ऑफ इंडिया तक 36 किलोमीटर की दूरी 8 घंटा 40 मिनट में तैर कर बनाया गया। अब बात करते हैं अन्य उपलब्धियों की जिया ने इसके अलावा राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में 200 मीटर फ्रीस्टाइल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ 100 मीटर बैकस्ट्रोक, 100 मीटर बटरफ्लाई में भी गोल्ड जीत चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात रेडियो कार्यक्रम में भी जिया की उपलब्धियों की चर्चा की जा चुकी है उन्होंने कहा था कि जिया काफी प्रतिभाशाली हैं और उनके द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को देखते हुए यह माना जा रहा है कि अभी वह कई और रिकॉर्ड अपने नाम से करेंगी। इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जिया को राष्ट्रीय बाल खेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पुरस्कार के लिए जिया का चयन होने से घर वाले और गांव वाले काफी खुश हैं। गांव के लोग लगातार इस बच्ची को शुभकामनाएं दे रहे हैं। मदन राय के पिता यानी जिया के दादा सुभाष राय और चाचा विपिन राय का कहना है कि यह उनके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे जिले की एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि बचपन में जब उन लोगों को जिया की बीमारी के बारे में जानकारी हुई तो वह लोग उसके आने वाले भविष्य को लेकर डर गए लेकिन जिया ने जिस तरह से साहस का परिचय दिया और हौसला नहीं छोड़ा तथा एक के बाद एक कड़ी उपलब्धि हासिल की वह आज इस समाज के लिए एक नजीर है। जिया की इस उपलब्धि पर सभी को नाज है।
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