
लखनऊ (Uttar Pradesh) । मुख्तार अंसारी के पास से वर्ष 2004 में सेना की चोरी हुई एलएमजी बरामद करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों लिया गया हैं। बता दें कि सरकार के उनपर दर्ज सभी केस को वापस लेने का फैसला लिया था, जिसपर अब सीजेएम कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी है। जिसके आदेश की कॉपी को उन्होंने फेसबुक पर साझा किया है, जिसके आधार पर हम आपको जानकारी दे रहे हैं।
यह है पूरा मामला
बताते चले कि एक भगोड़े जवान ने सेना से चुराई गई एलएमजी मुख्तार अंसारी को बेच दी थी। यूपी एसटीएफ के वाराणसी यूनिट में तैनात तत्कालीन डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मामला सामने आने पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा के तहत कार्रवाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजनैतिक दबाव पड़ने से नाराज होकर डिप्टी एसपी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि इके बाद तत्कालीन सरकार ने उनके खिलाफ कई मुकदमे लगा दिए थे। जिसे दिसम्बर 2017 में योगी सरकार ने हटाने का फैसला लिया था। जिसके बाद अब कोर्ट ने भी सरकार के इस फैसले पर अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
शैलेंद्र सिंह ने पोस्ट में लिखी ये बातें
शैलेंद्र सिंह ने फेसबुक पर कोर्ट की कापी को अपने फेसबुक अकॉउंट पर पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, "2004 में जब मैंने माफिया मुख्तार अंसारी पर LMG केस में POTA लगा दिया था, तो मुख्तार को बचाने के लिए तत्कालीन सरकार ने मेरे ऊपर केस खत्म करने का दबाव बनाया. जिसे न मानने के फलस्वरूप मुझे डिप्टी एसपी पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। इस घटना के कुछ महीने बाद ही तत्कालीन सरकार के इशारे पर, राजनीति से प्रेरित होकर मेरे ऊपर वाराणसी में आपराधिक मुकदमा लिखा गया और मुझे जेल में डाल दिया गया। लेकिन, जब योगी जी की सरकार बनी तो, उक्त मुकदमे को प्राथमिकता के साथ वापस लेने का आदेश पारित किया गया, जिसे सीजेएम न्यायालय द्वारा 6 मार्च, 2021 को स्वीकृति प्रदान की गई। न्यायालय के आदेश की नकल आज ही प्राप्त हुई। मैं और मेरा परिवार योगी जी की इस सहृदयता का आजीवन ऋणी रहेगा। संघर्ष के दौरान मेरा साथ देने वाले सभी शुभेक्षुओं का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
जेल भी गए थे शैलेंद्र सिंह
शैलेंद्र सिंह के इस्तीफा देने के कुछ ही महीने बाद वाराणसी के कैंट थाने में डीएम कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालजी की तरफ से डीएम दफ्तर के रेस्टरूम में तोड़फोड़ और हंगामे की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में शैलेंद्र सिंह को जेल भी जाना पड़ा था।
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