भाजपा प्रत्याशी दिनेश खटीक ने हस्तिनापुर से जीत हासिल की तो सत्ता की चाबी भी भाजपा के हाथ लग गई। इन सबके बीच खास बात यह रही कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा की पैठ बन गई है।
दिव्या गौरव
लखनऊ: साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कई मिथक टूटे लेकिन एक मिथक ऐसा भी रहा, जो अब भी बरकरार है। सैंतीस साल के इतिहास में किसी एक पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनने से लेकर नोएडा जाने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी खोने वाले मिथक टूटे तो वहीं हस्तिनापुर का सत्ता कनेक्शन बरकरार रहा। भाजपा प्रत्याशी दिनेश खटीक ने हस्तिनापुर से जीत हासिल की तो सत्ता की चाबी भी भाजपा के हाथ लग गई। इन सबके बीच खास बात यह रही कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा की पैठ बन गई है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र की ही बात करें तो यहां 3.42 लाख मतदाता हैं, इनमें पुरुष मतदाता 187884 और महिला मतदाता 154407 एवं अन्य मतदाताओं की संख्या 23 है। 10 फरवरी को हुए मतदान में 2,30,276 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। भाजपा के दिनेश खटीक को जहां 1,07,587 वोट हासिल हुए, वहीं सपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को 1,00,275 वोटों से संतोष करना पड़ा। मतगणना के बाद निकाले गए आंकड़ों के मुताबिक, कई मुस्लिम गांवों के बूथों पर भाजपा ने बड़ी संख्या में वोट हासिल किए हैं।
मुस्लिम बहुल बूथों पर बढ़ा वोट
बात सिर्फ हस्तिनापुर की नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार योगेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक, इस बार के चुनाव में भाजपा को मुस्लिमों का भरपूर समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, 'भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सामने आए आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने भाजपा के पक्ष में जमकर वोटिंग की है।' उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि जिन विधानसभा सीटों पर भाजपा को हार भी मिली है, वहां के मुस्लिम बहुल बूथों पर भी पहले की तुलना में भाजपा को काफी वोट मिला है।
मुस्लिमों के समर्थन की यह वजह
भाजपा के प्रति मुस्लिमों की बढ़ती करीबी को लेकर त्रिपाठी कहते हैं, 'यह सरकारी योजनाओं की जनता के लिए डिलिवरी का असर है। चाहे बात केन्द्र की करें या प्रदेश की, भाजपा सरकार ने सरकारी योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाया। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की वजह से भी ऐसा हो पाया।'