बीजेपी नेता का विवादित बयान-'मुसलमान पालें बकरी, उनका गाय पालना लव-जिहाद'

Published : Jul 29, 2019, 05:20 PM ISTUpdated : Jul 29, 2019, 05:23 PM IST
बीजेपी नेता का विवादित बयान-'मुसलमान पालें बकरी, उनका गाय पालना लव-जिहाद'

सार

बीजेपी नेता के बिगड़े बोल। याद दिलाया गाय का धर्म। कहा- मुसलमान पालें बकरी, उनका गाय पालना लव-जिहाद।

बाराबंकी: भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने गाय का धर्म तय कर दिया है। उनका कहना है कि, गाय हिंदू है, मुस्लिम नहीं। उन्होंने गाय के मरने के बाद उसको दफनाने पर आपत्ति जताई है। नेता का कहना है कि गाय का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जलाकर होना चाहिए। इसके साथ ही मुसलमानों के गायों के पालने पर भाजपा नेता ने लव-जिहाद का नाम दे दिया।

भाजपा नेता रंजीत बहादुर खुद बाराबंकी नगर पालिका के चेयरमैन रह चुके हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी शालिनी श्रीवास्तव चेयरमैन हैं। रंजीत का कहना है कि, "गाय माता का अंतिम संस्कार मुस्लिम पद्धति के अनुसार किया जा रहा है, उन्हें दफनाया जा रहा है, इस पर मुझे घोर आपत्ति है। हमारे वैदिक धर्म के अनुसार, इनका अंतिम संस्कार करअग्नि को सुपुर्द करना चाहिए। मैं नगर पालिका चेयरमैन का पति और पूर्व चेयरमैन होने के कारण यह प्रयास करूंगा कि बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव लाकर गौ-माता के लिए विद्युत शवदाह गृह बनवाकर इसकी शुरुआत करूं।"


मुसलमानों का गाय पालना भी एक तरह का लव-जिहाद 


रंजीत बहादुर ने कहा कि, "मैं हिंदुओं से एक अपील और करना चाहूंगा कि जो गाय मुसलमानों के घरों में पल रही है उनको किसी भी कीमत पर वहां से वापस ले लेनी चाहिए। जब हम अपनी लड़की और बहन को मुसलमानों के यहां जाने को लव-जिहाद मानते हैं, तो क्या गाय माता का इनके घर में जाना लव जिहाद की श्रेणी में नहीं आएगा। मुसलमानों के रसूल अल्लाह ने तो बकरियां पाली थीं, इसलिए बकरियां इनकी माता हैं। मुसलमानों को सिर्फ बकरियां पालनी चाहिए, यह लोग गाय क्यों पालते हैं। मुसलमानों का गाय पालना भी एक तरह का लव-जिहाद है और मैं इसका घोर विरोधी हूं।"

मोहम्मद साहब भी पहले हिन्दू थे- रंजीत बहादुर

रंजीत ने मोहम्मद साहब के धर्म को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि, कुरान शरीफ की एक आयत में इस बात का साफ जिक्र है कि पहले सभी के धर्म एक ही थे और सभी मूर्तियों की पूजा करते थे। मक्के में भी पहले 365 मूर्तियां थीं, जो मक्का फतह करने के लिए मोहम्मद साहब ने तोड़ीं थीं। इसका मतलब पहले मक्का में भी मूर्तियां पूजी जाती थीं और मूर्ति की पूजा हिंदू धर्म में की जाती है। इसलिए मोहम्मद साहब भी पहले हिंदू ही थे, वह बाद में मुसलमान हुए हैं। इसलिए हिंदू-मुस्लिम का भेद खत्म करके मुसलमानों को दोबारा हिंदू धर्म स्वीकार कर लेना चाहिए। 
 

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