
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुए गोमती रिवरफ्रंट के घोटाले के मामले में दो पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ लगातार शिकंजा कसता दिखाई पड़ रहा है। मामले में सीबीआई ने यूपी सरकार से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दीपक सिंघल के खिलाफ जांच की इजाजत मांगी है। इन दोनों ही पूर्व अफसरों पर गड़बड़ियों की अनदेखी को लेकर आरोप लगा है। आपको बता दें कि रिवरफ्रंट निर्माण के समय आलोक रंजन मुख्य सचिव और दीपक सिंघल सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे। इसके बाद ही दीपक सिंघल प्रदेश के मुख्य सचिव बने थे।
दौरे और बैठकों के बाद भी नजर नहीं आई गड़बड़ी
जिस दौरान गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा था उस समय चैनेलाइजेशन और रबर डैम के बारे में जानकारी हासिल करने को लेकर भी दीपक सिंघल और आलोक रंजन ने कई देशों की यात्रा की थी। यह दोनों ही अधिकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते थे। उस दौरान जब रिवरफ्रंट का काम निपटाने के लिए टास्क फोर्स बनाई गई थी तो आलोक रंजन उसके भी अध्यक्ष थे। आलोक रंजन के द्वारा टास्क फोर्स के साथ तकरीबन 23 बैठकें की गई थी। वहीं दीपक सिंघल ने 20-25 दौरे किए थे। मामले में आरोप लग रहा है कि आखिर इतनी बैठकों और दौरों के बाद भी अधिकारियों को गड़बड़ी नजर क्यों नहीं आई।
योगी सरकार ने शुरू की थी जांच
गोमती रिवरफ्रंट अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसमें तकरीबन 1400 करोड़ से अधिक का घोटाला बताया जा रहा है। योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2017 में ही गोमती रिवरफ्रंट को लेकर जांच शुरू की थी। मामले की शुरुआती जांच के बाद इसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। मामले में 30 नवंबर 2017 को सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की थी। इसमें 189 लोग आरोप बनाए गए थे।
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