योगी ने कुछ इस तरह धोए कन्याओं के पांव, विजयादशमी पर योगी का दिखेगा नया रूप

अपने पांच दिवसीय दौरे पर गोरखपुर में सीएम योगी ने कन्या पूजन किया। उन्होंने मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक कन्याओं के पांव पखारे और उन्हें भोजन कराया। उन्होंने बटुक भैरव के भी पांव पखारे व उनकी आरती उतारी। सीएम ने उनका विधिवत पूजन-अर्चन कर उन्हें चुनरी ओढ़ाई।

Asianet News Hindi | Published : Oct 7, 2019 8:01 AM IST / Updated: Oct 07 2019, 02:09 PM IST

गोरखपुर( UTTAR PRADESH ). अपने पांच दिवसीय दौरे पर गोरखपुर में सीएम योगी ने कन्या पूजन किया। उन्होंने मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक कन्याओं के पांव पखारे और उन्हें भोजन कराया। उन्होंने बटुक भैरव के भी पांव पखारे व उनकी आरती उतारी। सीएम ने उनका विधिवत पूजन-अर्चन कर उन्हें चुनरी ओढ़ाई।

भोजन के बाद दी दक्षिणा 
कन्या पूजन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक कन्याओं को अपने हाथों से भोजन कराया और दक्षिणा भेंट की। इसी क्रम में उन्होंने पूजन कक्ष में मौजूद अन्य कन्याओं को भी श्रद्धा और भक्ति के साथ भोजन कराया और दक्षिणा देकर सम्मान सहित विदा किया। गोरखनाथ मंदिर में कुल 101 कन्याओं का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया।

विजयादशमी पर दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विजयादशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर में न्यायिक दंडाधिकारी की भूमिका में नजर आएंगे। विजयदशमी की देर रात होने वाली पात्र पूजा में नाथ पंथ के संतों के लिए अदालत लगेगी। अदालत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर संतों की समस्याओं को सुलझाएंगे। पारंपरिक पात्र पूजा नाथ पंथ में अनुशासन बनाने रखने के लिए की जाती है।

सीएम बनने के बाद भी पूरी निष्ठा से निभाते हैं पीठाधीश्वर का फर्ज 
गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ अपने इस पारंपरिक उत्तरदायित्व का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करते हैं। परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित किए जाते हैं। नाथ संप्रदाय के सभी साधु-संत और पुजारी पहले पात्र देवता की पूजा करते हैं और दक्षिणा अर्पित करते हैं। करीब ढाई घंटे चलने वाली इस पात्र पूजा में पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार तो करते हैं लेकिन अगले ही दिन वह दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।

पात्र देवता के समक्ष अपनी समस्याएं रखते हैं साधु-संत 
 पात्र पूजा में लगने वाली अदालत में सभी संत अपनी शिकायतें पात्र देवता के समक्ष रखते हैं। इस दौरान पात्र देवता के रूप में स्थापित गोरक्षपीठाधीश्वर उसकी सुनवाई करते हैं। इस सुनवाई के दौरान यदि कोई साधु-संत नाथ परंपरा की विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है तो पात्र देवता उसके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लेते हैं। पात्र देवता को सजा और माफी दोनों का अधिकार होता है।

Share this article
click me!