Inside story: यूपी के वाराणसी का एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र जहां राम मंदिर आंदोलन से रहा BJP का दबदबा, जानिए कैसे

वाराणसी जिले में पड़ने वाली इस विधान सभा के अंदर ही पुरानी काशी (Old kashi) का क्षेत्र आता है। काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath mandir) इसी विधान सभा क्षेत्र में स्थापित हैं। 1990 के राम मंदिर आंदोलन ने ऐसा माहौल बनाया की बीते 8 विधान सभा चुनावों से भारतीय जनता पार्टी यहां अपराजेय बनी हुई है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2022 6:15 AM IST

अनुज तिवारी 
वाराणसी: यूपी के वाराणसी जिले (varanasi) का दक्षिणी विधान सभा क्षेत्र बीजेपी (BJP) का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। राम मंदिर आंदोलन के समय से ही इस विधान सभा में बीजेपी कभी चुनाव नही हारी है। 90 के दशक से लगातार 7 बार श्याम देव राय चौधरी ने यहां से जीत दर्ज की। श्याम देव अपने सरल व्यवहार की वजह से लोगों के बीच खूब लोकप्रिय थे। अपने सुलभ और सरल व्यवहार की वजह से क्षेत्र में दादा के नाम से मशहूर श्याम देव राय चौधरी विपक्षी दल के नेताओ के बीच भी खासे लोकप्रिय थे। 

विधानसभा का इतिहास
वाराणसी जिले में पड़ने वाली इस विधान सभा के अंदर ही पुरानी काशी (Old kashi) का क्षेत्र आता है। काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath mandir) इसी विधान सभा क्षेत्र में स्थापित हैं। 1990 के राम मंदिर आंदोलन ने ऐसा माहौल बनाया की बीते 8 विधान सभा चुनावों से भारतीय जनता पार्टी यहां अपराजेय बनी हुई है। 1990 से भाजपा के पास ये सीट है। पुरानी काशी को ही देखने विशेष कर लोग यहां आते है। गंगा किनारे दशास्व्मेध घाट की विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती, काशी विश्वनाथ मंदिर, काल भैरव समेत सभी आस्था के केंद्र और सभी प्रमुख मठ इसी विधान सभा क्षेत्र में पड़ते हैं। पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी इसी विधान सभा मे है जिसके बनने के शुरुआती दौर में मंदिरों और घरों के तोड़े जाने और विस्थापितों के मामले की वजह से लोगो मे गुस्सा है।

 2017 के चुनाव में भाजपा ने 7 बार के जीते विधायक श्याम देव राय चौधरी का टिकट काट कर नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया था। कांग्रेस और सपा के संयुक्त उम्मीदवार कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा सामने थे । कड़ी टक्कर के बाद नीलकंठ तिवारी ने राजेश मिश्रा पर करीब 12 हज़ार वोट से आखिरी राउंड में जीत दर्ज की । नीलकंठ तिवारी को यूपी सरकार में मंत्री बनाया गया । भाजपा के लिए पूरे जिले में सबसे ज्यादा प्रतिस्ठा की सीट अगर कोई है तो यही विधान सभा क्षेत्र है। यादव और मुस्लिम इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं लेकिन इस क्षेत्र के यादव और मुस्लिमो का समीकरण कभी भी सपा के पक्ष में नही गया है।

लगातार सात बार विधायक बने चौधरी
1989 से 2012 तक लगातार सात बार बीजेपी से अकेले श्यामदेव राय चौधरी चुनाव जीते‌। लेकिन यूपी की 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान यहां सियासत तब गरमा गई जब सात बार के विधायक रहे वरिष्ठ नेता श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटा गया। इससे भाजपा कार्यकर्ता भी नाराज हुए लेकिन चुनाव परिणाम भाजपा के ही पक्ष में आया. भाजपा प्रत्याशी डॉ. नीलकंठ तिवारी ने 92560 मतों के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद डॉ. राजेश कुमार मिश्रा को हराया।

मुस्लिम वोट और ब्राह्मण प्रत्याशी बन सकते है बीजेपी के लिए मुसीबत
2017 के विधान सभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया था । राजेश मिश्रा ने कड़ी टक्कर दी थी और उन्हें 12 हज़ार के अंतर से हार मिली । इस बार  बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ में सेंधमारी के लिए प्रमुख विपक्षी दल सामज़वादी पार्टी किसी ब्राह्मण या मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है। दक्षिणी सीट पर करीब 1लाख 10 हज़ार मुस्लिम मतदाता है इसके अलावा यादव और ब्राह्मण मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या इस विधान सभा क्षेत्र में है। इन समीकरणों को देखते हुए सपा इस बार मजबूती के साथ कड़ी टक्कर इस  सीट पर बीजेपी को दे सकती है।

मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाताओं की संख्या – 272845
पुरुष मतदाता – 151589
महिला मतदाता – 121256

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