देव दीपावली (Dev Deepawali) की रात शिव नगरी का नजारा देवलोक सा जगमग हो गया। 84 घाट, शहर के कुंड, हर गली, हर चौबारे, हर घर की चौखट दीयों की रौशनी से जगमग हुई।
वाराणसी। देव दीपावली (Dev Deepawali) के मौके पर काशी (Kashi) के 84 घाट 15 लाख दीयों की रोशनी से जगमग हो गए। इस बार देव दीपावली पर काशी ने अयोध्या का रिकार्ड तोड़ दिया। अयोध्या में दीपावली पर 12 लाख दीये जलाए गए थे, जबकि काशी में देव दीपावली के मौके पर 15 लाख दीये जलाए गए।
देव दीपावली की रात शिव नगरी का नजारा देवलोक सा जगमग हो गया। 84 घाट, शहर के कुंड, हर गली, हर चौबारे, हर घर की चौखट दीयों की रौशनी से जगमग हुई। अस्सी से राजघाट तक 22 से ज्यादा जगहों पर गंगा आरती हुई। गंगा घाट पर 15 लाख दीये जलाए गए। उत्तरवाहिनी गंगा तट से लेकर वरुणा किनारे तक दीपमालिकाएं रौशन हुईं।
घाटों पर बनी रंगोलियां आकर्षण का केंद्र रहीं। 2 लाख से ज्यादा लोग 84 घाटों पर पहुंचे। पर्यटकों ने गंगा में नौका की सवारी की। गंगा में छोटे से लेकर बड़े सभी नाव, स्टीमर और क्रूज पर पर्यटकों ने सवारी की। घाटों पर जुटने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
बता दें कि दिवाली के 15 दिन बाद, कार्त्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन वाराणसी में मां गंगा के घाटों पर लाखों दीपक शाम को जलाए जाते हैं। मान्यता है, इस दिवाली को मनाने व देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर उतर आते हैं। मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए। यही कारण है कि आज भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में दिवाली मनाई जाती है।
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