मैनपुरी में डिंपल की जीत नहीं होगी आसान, इस वजह से अखिलेश यादव भी हो रहे परेशान

मैनपुरी उपचुनाव को लेकर डिंपल यादव की ओर से नामांकन दाखिल कर दिया गया है। हालांकि यह चुनाव सपा के लिए जीतना उतना आसान नहीं रहा जितना पहले हुआ करता था। भाजपा भी इस सीट पर स्थिति मजबूत करने में जुटी है। 

मैनपुरी: चुनावी शंखनाद के बाद सपा प्रत्याशी डिंपल यादव ने मैनपुरी उपचुनाव के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है। सपा ने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी सीट से बहू को उतारने का फैसला लिया है। भले ही सपा के लिए यह सीट हमेशा से सुरक्षित रही हो लेकिन इस बार का चुनाव इतना आसान नहीं रहने वाला है। समाजवादी पार्टी भी पिछले चुनावों के जीत के अंतर को देखकर यह चीज भली भांति समझ रही है। बीते चुनावों में में भाजपा ने सपा के गढ़ में जीत के अंतर को लाखों से हजारों में समेट दिया था।

आसान नहीं होगी डिंपल यादव के जीत की राह
नेताजी के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर 5 दिसंबर को चुनाव होना है। सपा ने मुलायम की बहू और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी को इस सीट से उतारने का फैसला लिया है। पार्टी मुलायम की विरासत वाली सीट पर लोकसभा में अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहती है। हालांकि उपचुनाव में जीत की राह मुश्किल नजर आ रही है। वर्ष 2004  के आम चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर 3.37 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2019 के चुनाव में जीत का यह अंतर महज 94 हजार वोटों तक ही सीमित रह गया। सपा की जीत का अंतर भी उस दौरान कम हुआ जब पार्टी ने बसपा के साथ चुनाव लड़ा था।

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भाजपा की स्थिति भी हो रही मजबूत
2022 के उपचुनाव में भाजपा इस सीट पर मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। संगठन की मजबूती के दम पर ही भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव दमदार तरीके से लड़ा था। उसके पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के सामने प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया था। चुनाव में मुलायम को 5.24 लाख वोट मिले थे जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 4.30 लाख वोट मिले थे। मुलायम सिंह यादव भी इस सीट पर सिर्फ 94389 वोटों से ही जीत दर्ज कर पाए थे। इस बार का चुनाव मुलायम सिंह यादव की गैरमौजूदगी में हो रहा है। लिहाजा यह सपा के लिए बड़ी परीक्षा साबित होने वाला है। 

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