गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई 60 बच्चों की मौत में आरोपी बनाए गए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को शुक्रवार को क्लीन चिट मिल गई।
गोरखपुर (Uttar Pradesh). गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई 60 बच्चों की मौत में आरोपी बनाए गए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को शुक्रवार को क्लीन चिट मिल गई। बता दें, घटना के बाद डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया था। उनपर अपना कर्तव्य नहीं निभाने के आरोप लगे थे। इन्हीं आरोपों में इन्हें 9 महीने जेल में भी रहना पड़ा था।
डॉ. कफील ने कही ये बात
उन्होंने कहा, मैं और पूरी फैमिली के लिए खुशी की बात है। ये रिपोर्ट खुद योगी जी ने जारी की थी। उन्होंने भी माना कि डॉ कफील की टीम ने उउस दिन अपनी तरफ से ऑक्सीजन सेलेंडर अरेंज किए। 2 साल से मैं अपने उपर मर्डरर, कातिल का दाग लेकर घूम रहा था, अब शायद वो धुल जाए। लेकिन मुझे सही जस्टिस तभी मिलेगा बच्चों की मौत का असली कातिल जेल में सलाखों के पीछे होगा। लाखों लोगों ने मेरी लिए दुआ मांगी थी। जिसका नतीजा सामने आ गया। मुझे लगता है सभी का ये प्यार आगे भी मिलता रहेगा।
मां ने कही ये बात
डॉ. कफील की मां नुजहत परवीन ने कहा, बेटा निर्दोष साबित हुआ। जांच अधिकारी हिमांशु कुमार का बहुत बहुत शुक्रीया। अब योगी जी से एक ही विनती है कि बेटे को उसकी नौकरी पर बहाल कर दे। ताकि वो परिवार और अन्य लोगों की सेवा कर सके।
क्या है पूरा मामला
बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में 7 से 12 अगस्त के बीच 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुई। मामला सामने आने के बाद बीआरडी कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को 12 अगस्त को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कहा था, मैंने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए सस्पेंशन से पहले ही इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद 13 अगस्त को योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा। इसी दिन हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेट और वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर कफील खान को उनके पद से हटा दिया गया। मामले में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्र, उनकी पत्नी और इंसेफलाइटिस वार्ड के इंचार्ज डॉ. कफील खान समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।
जांच में निकली ये सच्चाई
इस मामले की जांच कर रहे प्रमुख सचिव टिकट और पंजीकरण विभाग हिमांशु कुमार को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 18 अप्रैल को 15 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा गया था कि कफील लापरवाही के दोषी नहीं थे। उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कोशिश की थी। उन्होंने अपने सीनियर्स को भी ऑक्सिजन की कमी के बारे में बताया था। यही नहीं, व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सिजन सिलेंडर भी दिए थे। कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे, लेकिन उसके बाद नहीं। वहीं, कफील ने पांच महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। 18 अप्रैल को जारी जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कफील घटना के दिन इन्सेफेलाइटिस वार्ड के नोडल मेडिकल प्रभारी नहीं थे। न ही ऑक्सीजन सप्लाई के टेंडर आवंटन प्रक्रिया में वह किसी भी तरह शामिल थे।