शहीद की अंतिम यात्रा में भिड़ गए दो माननीय, जमकर नोकझोंक; एक दूसरे को देख लेने की भी धमकी

जम्मू-कश्मीर में राजौरी आर्मी बेस पर तैनात सूबेदार कुलदीप मौर्य का पार्थिव शरीर बीते मंगलवार की सुबह उनके गृह जनपद यूपी के चन्दौली पहुंचा। शहीद मेजर का पार्थिव शरीर साधारण एम्बुलेंस से घर पहुंचा तो लोग आक्रोशित हो गए। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 9, 2020 10:45 AM IST / Updated: Sep 09 2020, 04:34 PM IST

चंदौली(Uttar Pradesh). जम्मू-कश्मीर में राजौरी आर्मी बेस पर तैनात सूबेदार कुलदीप मौर्य का पार्थिव शरीर बीते मंगलवार की सुबह उनके गृह जनपद यूपी के चन्दौली पहुंचा। शहीद मेजर का पार्थिव शरीर साधारण एम्बुलेंस से घर पहुंचा तो लोग आक्रोशित हो गए। लोगों ने शहीद के शव का अपमान करने की बात कहकर हो-हल्ला शुरू कर दिया। ग्रामीणों के साथ ही परिजन धरने पर बैठ गए। इस धरने को समाजवादीपार्टी ने राजनैतिक रंग भी दे दिया। सपाई भी इस धरने में शामिल हो गए। सैनिक के परिवार और गांव वालों की मांग भी जायज थी। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया और राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंत्‍येष्टि हुई। इन सब के बीच दो माननीयों के आपस में भिड़ने से सैनिक का गांव राजनैतिक वर्चस्व का अखाड़ा बन गया।

सैयदराजा से पूर्व विधायक मनोज सिंह और वर्तमान विधायक सुशील सिंह आपस में भिड़ गए। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल मंगलवार की सुबह सूबेदार कुलदीप मौर्य का पार्थिव शरीर सेना की गाड़ी के बजाय साधारण तरीके से एक एम्बुलेंस से भेज दिया गया। जिससे परिजन और ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त हो गया। सपाइयों के धरने में शामिल होने के बाद परिदृश्य ही बदल गया और विवाद की स्थिति बन गई।

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धरने में परिजनों के साथ सपा के शामिल होने के बाद बढ़ा तनाव 
शहीद को उचित सम्मान न मिलने की बात कहते हुए शुरू हुए परिजनों के विरोध प्रदर्शन को जब सपा का साथ मिला तो मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया। आनन-फानन में भाजपा की ओर से भी सैयदराजा विधायक सुशील सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडेय के करीबी सूर्यमणि तिवारी, पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह समेत अन्य नेताओं ने मोर्चा संभाला। सेना की वाराणसी बटालियन (39 जीटीसी) ने शहीद को सम्मान देने की तैयारी शुरू की तो धरना समाप्त हुआ, लेकिन विवाद नहीं। जवान के शव यात्रा के दौरान सैयदराजा से भाजपा विधायक सुशील सिंह और इसी सीट से पूर्व विधायक व सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह आपस में उलझ गए। वह भी एक बार नहीं बल्कि दो बार। दोनों नेताओं में कहासुनी में बात एक दूसरे को देख लेने और औकात तक आ पहुंची। दोनों नेताओं के समर्थक भी हो हल्ला मचाने लगे।

दोनों के बीच है पुरानी राजनीतिक अदावत 
दोनों दलों के कुछ नेताओं ने बीच बचाव कर मामले को संभाला। लेकिन अब वर्चस्व की लड़ाई का वीडियो वायरल हो गया और लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। खास बात यह रही की दोनों नेता एक दूसरे को देख लेने की धमकी देते रहे। वहीं दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन के लोग मूकदर्शक बने रहे। गौरतलब है कि इन दोनों नेताओं की राजनैतिक अदावत पुरानी है। इस सीट पर माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह चुनाव मैदान में उतरे थे , लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मनोज सिंह ने बृजेश सिंह को शिकस्त दी। उन दोनों के बीच अदावत यहीं खत्म नहीं हुई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मनोज सिंह को शिकस्त दी।
 

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