वाराणसी में ईवीएम नोडल अधिकारी नलिनीकांत सिंह को निर्वाचन कार्य से हटाया गया, जानिए क्या था पूरा मामला

सपा गठबंधन की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने बनारस कमिश्नर और जिलाधिकारी को निर्वाचन कार्य से हटा दिया है। जिसके बाद मतगणना तक स्पेशल ऑब्जर्वर की नियुक्ति की गई है।  ज्ञात हो कि ओपी राजभर ने कहा था कि जब तक वाराणसी के DM कौशल राज शर्मा को हटाया नहीं जाएगा, हम मतगणना नहीं होने देंगे। 

वाराणसी: जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा ईवीएम प्रभारी अपर जिलाधिकारी नलिनी कांत सिंह को ईवीएम परिवहन में लापरवाही बरतने पर दिनांक 8 मार्च को देर रात तत्काल प्रभाव से निर्वाचन कार्य से अवमुक्त करते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को ईवीएम प्रभारी बनाया गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी तथा उप जिला निर्वाचन अधिकारी को बगैर सूचना दिये तथा ईवीएम परिवहन की जानकारी प्रत्याशियों को मूवमेंट प्लान दिए बिना वेयरहाउस से निकाली गई तथा परिवहन प्रोटोकॉल का कोई पालन नहीं किया गया जिस कारण उन्हें जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा तत्काल प्रभाव से अवमुक्त किया गया है।

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से मंगलवार को अचानक से बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी सरकार की प्रशासनिक मशीनरी पर मतगणना को लेकर धांधली का आरोप लगाया गया। अखिलेश ने इसको लेकर ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा कि वाराणसी में EVM पकड़ी गई। अखिलेश के आरोपों के बाद बीजेपी ने भी उस पर पलटवार किया है।

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अखिलेश यादव की ओर से लगाए गए आरोप के मुताबिक वाराणसी में ईवीएम पकड़ी गई। उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा के ईवीएम को ले जाया जा रहा था। बिना प्रत्याशी के जानकारी के ईवीएम को एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता है। आखिर बिना किसी सुरक्षा बल के मशीनों को क्यों ले जाया जा रहा था?  ज्ञात हो कि अखिलेश यादव ने पहले ही कार्यकर्ताओं से ईवीएम की निगरानी को लेकर कहा था। उन्होंने और गठबंधन के कई अन्य नेताओं ने भी जब तक गिनाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं की बात कही थी। 

बनारस में बवाल के बाद हुई जांच, डमी निकली EVM
वाराणसी में ईवीएम से भरे वाहन को लेकर जमकर बवाल हुआ। धांधली के बाद जांच के लिए प्रशासन और एसपी समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं में सहमति बनी। इस दौरान अधिकारियों ने भरोसा भी दिया कि अगर कोई गड़बड़ी मिली तो चुनाव रद्द होगा। इसके बाद गाड़ी में मिले ईवीएम की जांच शुरु की गई। उस पर एल्फा, बीटा, गामा के प्रतीक मिलें। यानी की यह डमी ईवीएम थी। इसके बाद बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट को भी खोलकर दिखाया गया। वीवीपैट भी सामने रखा गया। सभी दलों के लोगों को इसके बाद स्ट्रांग रूम के सीसीटीवी फुटेज भी दिखाए गए। लगाए गए आरोपों के बाद इस पूरी प्रक्रिया से कमिश्नर और डीएम को दूर रखा गया। 

कमिश्नर और डीएम ने सामने आकर दी थी सफाई 
वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि यह ईवीएम वो है जो कल ट्रेनिंग के लिए आई थीं। इन्हें यूपी कॉलेज ले जाया जा रहा था। जो ईवीएम की लिस्ट और जो पोलिंग में यूज हुई है उसका मिलान कर लिया जाए गाड़ी अभी भी बाहर ही खड़ी है। अगर ईवीएम का नंबर मिलता है तो हम लोग दोषी हैं। वहीं डीएम कौशल राज शर्मा ने कहा कि जो 20 ईवीएम मिली हैं वह अलग मशीने है। यह मशीने प्रशिक्षण की मशीनें है। 

अखिलेश यादव ने जहां लगाए EVM चोरी के आरोप, वहां ये चौंकाने वाली सच्चाई आई सामने, जानिए क्या है पूरा मामला

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