राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश में एस्मा एक्ट (एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट) लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत प्रदेश में 6 महीने के लिए हड़ताल पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे। एस्मा एक्ट लागू किए जाने के बाद कर्मचारी संगठनों की तरफ से अगर हड़ताल की जाएंगी तो उनके खिलाफ एस्मा एक्ट के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ: विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से ठीक पहले तमाम कर्मचारी संगठनों की तरफ से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की चेतावनी दी जा रही है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश में एस्मा एक्ट (एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट) लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत प्रदेश में 6 महीने के लिए हड़ताल पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे। एस्मा एक्ट लागू किए जाने के बाद कर्मचारी संगठनों की तरफ से अगर हड़ताल की जाएंगी तो उनके खिलाफ एस्मा एक्ट के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश कुमार चतुर्वेदी ने अधिसूचना भी जारी की है। अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के राज्य क्रियाकलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, निगम और स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इसके बाद भी हड़ताल करने वाले संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ विधिक व्यवस्था के अंतर्गत एस्मा एक्ट के साथ कार्यवाही की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी पिछले साल कोरोना के संकट काल के दौरान बढ़ते मामलों को देखते हुए भी राज्य सरकार ने हड़ताल पर रोक लगाने के लिए पिछले साल नवंबर महीने में एस्मा एक्ट लगाया था। एक बार फिर उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामले के संकट को देखते हुए एस्मा एक्ट लागू किया गया है। जिससे सरकारी कर्मचारी और निगमों के कर्मचारी हड़ताल पर न जा पाए और अगर सरकार के एस्मा लागू किए जाने के बावजूद कर्मचारी हड़ताल प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जानिए क्या है एस्मा एक्ट
राज्य सरकार की ओर से लगाए गए एस्मा एक्ट सरकारी कर्मचारियों को प्रदर्शन व हड़ताल करने से रोकने को एक सख्त कानून है। इसके लागू होने के बाद प्रदेश में कहीं भी प्रदर्शन या हड़ताल पूरी तरह से प्रतिबंधित रहते हैं। वहीं, इस एक्ट के लागू होने के बाद भी अगर कर्मचारियों की तरफ से हड़ताल या प्रदर्शन किया जाता है और उससे राज्य सरकार के कामकाज प्रभावित होते हैं तो संबंधितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है। इसके साथ ही बिना वारंट के संबंधित कर्मचारियों की गिरफ्तारी के भी प्रावधान है।
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