लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने पर UP की लड़कियों की राय, देखिए ये रिपोर्ट
जब केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर लखनऊ की लड़कियों से एशिया नेट न्यूज की टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि वो सरकार के इस फैसले का स्वागत करती हैं। सरकार का फैसला बिलकुल सही है 21 साल की उम्र में लड़कियों को समझदारी आ जाती है। कुछ लड़कियों ने तो यह भी कहा कि शादी की उम्र और ज्यादा बढ़ा देनी चाहिए। इससे अच्छा कोई फैसला नहीं हो सकता था।
लखनऊ: केंद्र सरकार (Central Government) ने लड़कियों की शादी (Girls Marriage) की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया तो यूपी की बेटियों ने जश्न मनाया। इस फैसले को लेकर यूपी का लड़कियों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है। जब केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर लखनऊ की लड़कियों से एशिया नेट न्यूज की टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि वो सरकार के इस फैसले का स्वागत करती हैं। सरकार का फैसला बिलकुल सही है 21 साल की उम्र में लड़कियों को समझदारी आ जाती है। कुछ लड़कियों ने तो यह भी कहा कि शादी की उम्र और ज्यादा बढ़ा देनी चाहिए। इससे अच्छा कोई फैसला नहीं हो सकता था।
प्रस्ताव को कैबिनेट ने दी मंजूरी
बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी है। प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से अपने संबोधन में इसका उल्लेख किया था. उन्होंने कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो।
मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है। अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी। नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी।
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल भी इस टास्क फोर्स के सदस्य थे. इनके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला तथा बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय तथा कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव टास्क फोर्स के सदस्य थे।
टास्क फोर्स का गठन पिछले साल जून में किया गया था और पिछले साल दिसंबर में ही इसने अपनी रिपोर्ट दी थी। टास्क फोर्स का कहना था कि पहले बच्चे को जन्म देते समय बेटियों की उम्र 21 साल होनी चाहिए। विवाह में देरी का परिवारों, महिलाओं, बच्चों और समाज के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।