लखनऊ में CAA के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पूरे लखनऊ में कहर ढा दिया। दो पुलिस चौकियों को आग के हवाले करने के साथ ही तीन दर्जन से अधिक गाड़ियों में तोड़फोड़ व आगजनी की गई
लखनऊ (Uttar Pradesh ). लखनऊ में CAA के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पूरे लखनऊ में कहर ढा दिया। दो पुलिस चौकियों को आग के हवाले करने के साथ ही तीन दर्जन से अधिक गाड़ियों में तोड़फोड़ व आगजनी की गई। प्रदर्शनकारियों के पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए। राजधानी सहित प्रदेश के अन्य जनपदों में दो दिन पूर्व से ही धारा 144 लगाई गयी है। इसके बावजूद भी इस तरह की हिंसा पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है। मामले को लेकर Asianet News Hindi ने यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से बात की।
CAA के विरोध में लखनऊ में दो दिन से शांत हिंसा अचानक से भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने पुराना लखनऊ इलाके में दो पुलिस चौकियों को आग के हवाले करते हुए तीन दर्जन से अधिक गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया को भी नहीं बक्शा। एक न्यूज़ चैनल की ओवी वैन में भी तोड़फोड़ करने के साथ ही उसे आग के हवाले कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों के पथराव में कई पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए।
पुलिस ने नहीं की प्रिवेंटिव गिरफ्तारियां
EX DGP विक्रम सिंह का कहना है कि दो दिन पूर्व जब लखनऊ में बवाल हुआ था उसी समय पुलिस को सतर्क हो जाना चाहिए था। पुलिस को प्रदर्शनकारियों की प्रिवेंटिव गिरफ्तारियां करनी चाहिए थी। जिन इलाकों में बवाल करने वाले लोगों की सूचना पहले से थी वहां से पहले से ही हिंसा भड़काने वाले लोगों को चिन्हित कर गिरफ्तार करना चाहिए था।
इंटेलीजेंस रहा पूरी तरह से फेल
EX DGP विक्रम सिंह का कहना है कि,लखनऊ प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ इतना आसान जिला नहीं जितना हलके में इसे आंक लिया गया इस घटना में। दूसरी बात हमारा इंटेलीजेंस सिस्टम काफी कमजोर साबित हुआ है। इसके लिए इंटेलीजेंस सिस्टम को हाईटेक बनाना होगा। अगर कहीं आधिकारिक तौर पर लापरवाही हुई है तो इसपर भी काम कर उस कमी को दूर करना होगा।
छतों पर ईंट पत्थर इकट्ठा होने की नहीं लगी खबर
EX DGP विक्रम सिंह का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने घरों की छतों पर भारी मात्रा में ईंट पत्थर इकट्ठा कर लिए और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। सबसे महत्वपूर्ण है कि पुलिस को संदिग्ध क्षेत्रों में ऊंची बिल्डिंग्स से निगरानी करनी चाहिए थी। संदिग्ध इलाकों में छतों की तलाशी लेनी चाहिए थी। वाच टावर जरूरत के हिसाब से लगाने चाहिए। काफी जगह हमसे चूक हुई है। ऐसी घटनाओं के पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पहले से एक्टिव रहना होगा।