
उन्नाव: साल 2016 नवम्बर माह में भारत सरकार ने कालाधन और जमाखोरी को देखते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था। उस समय अधिकांश लोगों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। जिसके बाद दो हजार, पांच सौ और दो सौ के नये नोट चलन में लाए गए थे। इधर बाजारों से गायब हो रहे दो हजार नोट के बारे में शुक्लागंज के पूर्व नौ सैनिक ने रिजर्व बैंक से जनसूचना के माध्यम से जानकारी मांगी। जिस पर पता चला कि पिछले दो सालों से रिजर्व बैंक ने एक भी दो हजार के नोट नहीं छापे हैं।
2000 के नोट बाजारों से हुए गायब
बाजारों, प्रतिष्ठानों और व्यवसायों से वर्तमान समय में दो हजार के नोट पिछले कुछ समय से गायब हो गये हैं। जिससे व्यापारियों, लोगों के अलावा आम जनमानस को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। जन समस्याओं को देखते हुये शुक्लागंज के डॉकटर कॉलोनी निवासी पूर्व नौ सैनिक, पूर्व रणजी खिलाड़ी व संदेश फाउंडेशन के अध्यक्ष संदीप पांडेय ने जन सूचना के अधिकार के माध्यम से 2,000 के नोटों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक से जानकारी मांगी। जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड के केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी एस रवि कुमार ने बताया कि पिछले दो सालों से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2,000 के एक भी नोट नहीं छापे गये हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से दो हजार के नोट की छपाई न होने से बजारों से नोट गायब हो रहे हैं। इसके पीछे सरकार की क्या मंशा है, इस पर मात्र अनुमान ही लगाया जा सकता है। परन्तु अगर सरकार साकारात्मक सोच व नीति के साथ बड़े अंक के नोटों को चलन से बाहर कर के कालाबाजारी को धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, तो यह एक आशाजनक पहल है। काले धन के संचयन में बड़े नोटों का अधिक योगदान होता है और अगर वो चलन से बाहर हो जाएं तो कालेधन के संचय पर लगाम लग सकती है।
वर्ष 500 के नये नोट 2000 के नये नोट
2016-17 4292.225 3542.991
2017-18 5781.022 111.507
2018-19 6284.842 46.690
2019-20 8227.776 0
2020-21 6500.317 0
सभी आंकड़े मिलियन (दस लाख) में हैं।
नोट छपाई में यह आता है खर्च
आरटीआई के जरिये मिली जानकारी में पता चला कि दो हजार के एक नोट की छपाई में 3 रूपये 53 पैसे व 500 की नोट छापने में 2 रूप्ये 15 पैसे का खर्च आता है।
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