
लखनऊ: एक नाबालिग लड़की के साथ उसके पिता और भाई ने 7 सालों तक लगातार दुष्कर्म किया। इस दौरान वह 7 बार गर्भवती हुई। जब पीड़िता को पेट दर्द हुआ तो उसकी मां ने उसे दवा देकर गर्भपात करवा दिया। जब पीड़िता की सहनशक्ति जवाब दे गई तो उसने सीएम से न्याय की गुहार लगाई। सीएम ने फौरन आरोपियों को जेल में डालने का आदेश दे दिया। उसी पीड़िता ने करीब 12 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया। पीड़िता को संस्थान ने अपना लिया। नाबालिग अपनी नानी के घर पर रह कर पढ़ाई करती थी। जब वह 10वीं की पास कर वर्ष 2004 में अपने माता-पिता के पास आई। उसके दो भाई भी थे। वहीं इतने सालों तक अपने परिवार से दूर रहने के बाद नाबालिग भी परिवार के साथ बहुत खुश थी।
पीड़िता की मां ने भी नहीं दिया साथ
एक दिन नाबालिग के पिता ने उसे अपने पास बुलाते हुए कहा कि उसके ऊपर बुरा साया है। जब वह नाबालिग के साथ संपर्क बनाएगा तो साया उसे छोड़ देगा। जब पीड़िता ने पिता की बात नहीं मानी तो उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी गई। इतने से भी जब पीड़िता के पिता का मन नहीं भरा तो उसने थोड़ी देर बाद आकर नाबालिग के कपड़े फाड़ दिए और फिर उसके साथ गलत काम किया। इस दौरान वह कमरे में पड़ी रोती रही। इसके बाद पीड़िता ने पूरी घटना अपनी मां को बताई तो उसकी मां का ने जवाब दिया कि तुम्हारे पिता ने ही तो किया है। जो हुआ उसे भूल जाओ। इसके बाद उसकी मां खुद उसे पिता के पास भेजने लगी। हर रोज लड़की के साथ गलत काम किया जाता था। इस बीच वह गर्भवती हुई तो उसका गर्भपात करवा दिया गया। फिर पीड़िता ने अपने बड़े भाई को सारी घटना बताई।
भाई ने भी किया दुष्कर्म
पीड़िता को उम्मीद थी कि उसका भाई उसके लिए आवाज उठाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाई ने मदद करने के बजाय खुद पीड़िता केसाथ दुष्कर्म करने लगा। मां-पिता, भाई सब इसमें शामिल थे। वहीं छोटे भाई की उम्र काफी कम थी। जब पीड़िता ने अपनी नानी और मामा को घटना के बारे में बताने की कोशिश की तो घरवाले छोटे भाई को जान से मारने की धमकी देने लगे। इस बीच कई बार पीड़िता का गर्भपात कराया गया। लेकिन उसके पिता ने दुष्कर्म करना बंद नहीं किया। वर्ष 2012 तक कई बार गर्भपात होने के कारण उसकी तबियत खराब रहने लगी। जब पीड़िता की मां उसे डॉक्टर के पास लेकर गई तो पता चला कि गर्म दवाईयों के कारण किडनी और लिवर में इन्फेक्शन हो गया है। जब मां ने यह बात पिता को बताई तो वह बोले कि अगर वह मर जाती है तो घर के आंगन में गाड़ देंगे और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा।
सीएम से लगाई न्याय की गुहार
पीड़िता की तकलीफ हर रोज बढ़ती जा रही थी। उसके घरवालों ने उसका इलाज भी नहीं कराया। इसके बाद पीड़िता सीएम के पास पहुंच गई। वहीं सीएम के आदेश के बाद पुलिस ने पिता, भाई और मां को गिरफ्तार कर लिया। पीड़िता के अपराधियों को सजा तो मिल गई लेकिन अब उसका सहारा बनने के लिए कोई तैयार नहीं था। इसके बाद रेप पीड़िताओं को सहारा देने वाली एक संस्थान ने उसे सहारा दिया। विनीता और आशीष श्रीवास्तव मिलकर 13 साल से इस संस्थान को चला रहे हैं। विनीता ने बताया कि उनके पास कई ऐसी बच्चियां हैं जिनके साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं होती हैं। अपराध ना होने के बाद भी उनके अपने उन्हें अपनाने से इंकार कर देते हैं। ऐसे में वह 18 साल तक बच्चियों को अपने पास रखने के बाद उन्हें कानूनन दूसरी संस्थान को सौंप देते हैं।
संस्थान ने दिया सहारा
वीनिता ने बताया कि इस दौरान नाबालिगों को कम्प्यूटर, सलाई-कढ़ाई, आर्टिस्टिक वर्क और ब्यूटी कोर्स करवाए जाते हैं। ताकि संस्थान से बाहर निकलने के बाद ये बच्चियां अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। वहीं विनीता अपने बारे में बताती हैं कि बचपन में उनकी मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। जिसके बाद सौतेली मां ने उन्हें बचपन से ही किनारे कर दिया थाा। लेकिन विनीता ने हार नहीं मानी और आज वह उन तमाम बच्चियों का सहारा बन गई जिन्हें अपने परिवार से अपनापन नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पीड़िता जब यहां आई थी तो बहुत रो रही थी। अब पीड़िता की शादी को 7 साल हो गए हैं। पीड़िता का छोटा भाई पीड़िता से मिलने उसके ससुराल जाता है। लेकिन वह उसे अपने साथ घर नहीं ले जाता है। विनीता ने बताया कि पीड़िता की शादी के बाद दो बच्चे हैं और अब वह अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही है।
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